जर्मन रिसर्च सेंटर फॉर जियोसाइंसेज (GFZ) के आंकड़ों के अनुसार, यह भूकंप 06:47:55 UTC (12:17 PM IST) पर आया, जिसका केंद्र 36.13°N अक्षांश और 71.38°E देशांतर पर 86 किलोमीटर की गहराई में था। नेशनल सेंटर फॉर सिस्मोलॉजी ने इसे 5.8 की तीव्रता का बताया, जिसके झटके श्रीनगर, जम्मू और आसपास के इलाकों में स्पष्ट रूप से महसूस किए गए। भूकंप के कुछ सेकंड तक चले इन झटकों ने लोगों में दहशत फैला दी। कई लोग अपने घरों और ऑफिसों से बाहर खुले मैदानों की ओर भागे।
किसी तरह का कोई नुकसान नहीं
इस भूकंप से तत्काल किसी तरह के नुकसान या हताहत की खबर नहीं आई। प्रशासन और आपदा प्रबंधन टीमें स्थिति पर नजर रख रही हैं, लेकिन प्रारंभिक रिपोर्ट्स में किसी बड़े नुकसान की पुष्टि नहीं हुई। यह घटना उस क्षेत्र की भौगोलिक संवेदनशीलता को फिर से रेखांकित करती है, जो भारतीय और यूरेशियन टेक्टोनिक प्लेटों के टकराव के कारण भूकंप के लिहाज से अत्यंत सक्रिय है।
हैरानी की बात यह है कि यह इस सप्ताह का पहला भूकंप नहीं था। ठीक एक हफ्ते पहले, 12 अप्रैल 2025 को, पाकिस्तान में 5.8 तीव्रता का एक और भूकंप आया था, जिसका केंद्र 33.63°N अक्षांश और 72.46°E देशांतर पर 10 किलोमीटर की गहराई में था। उस भूकंप के झटके भी कश्मीर घाटी में महसूस किए गए थे। इन लगातार भूकंपीय गतिविधियों ने स्थानीय लोगों में चिंता बढ़ा दी है।
सोशल मीडिया लोग दे रहे ऐसी प्रतिक्रिया
भूकंप के बाद सोशल मीडिया पर लोगों ने अपने अनुभव साझा किए। श्रीनगर के एक यूजर ने लिखा, “ऑफिस में सब कुछ सामान्य था, अचानक कुर्सी और टेबल हिलने लगे। कुछ सेकंड के लिए डर सा लग गया।” एक अन्य यूजर ने कहा, “कश्मीर में फिर भूकंप! हर बार दिल धक-धक करने लगता है।” इन प्रतिक्रियाओं से साफ है कि बार-बार आने वाले भूकंप स्थानीय लोगों के लिए तनाव का कारण बन रहे हैं। प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि वे भूकंप के दौरान घबराएं नहीं और सुरक्षित स्थानों पर जाएं। साथ ही, भूकंप प्रतिरोधी इमारतों और आपदा प्रबंधन की तैयारियों पर जोर देने की जरूरत एक बार फिर सामने आई है। यह भूकंप भले ही बिना नुकसान के गुजर गया, लेकिन यह एक चेतावनी है कि प्रकृति के इस संकेत को गंभीरता से लेना होगा।