क्या है पूरा मामला
पटना के एक नामी बिल्डर ने रीतलाल यादव और उनके सहयोगियों पर रंगदारी मांगने और जान से मारने की धमकी देने का आरोप लगाया था। बिल्डर की शिकायत के आधार पर पुलिस ने 11 अप्रैल को रीतलाल यादव से जुड़े 11 ठिकानों पर छापेमारी की। इस दौरान पुलिस ने 10.5 लाख रुपये नकद, 77 लाख रुपये के चेक, छह खाली चेक, जमीन हड़पने से संबंधित 14 दस्तावेज और एग्रीमेंट, 17 चेकबुक, पांच स्टांप, छह पेन ड्राइव और एक वॉकी-टॉकी बरामद किया। शिकायतकर्ता का कहना है कि रीतलाल यादव और उनके सहयोगी लंबे समय से उन्हें धमकी दे रहे थे और उनके प्रोजेक्ट्स से हिस्सा मांग रहे थे। पुलिस ने इस मामले में प्राथमिकी दर्ज कर जांच शुरू की, जिसके बाद विधायक ने कोर्ट में सरेंडर करने का फैसला किया।
पत्नी का आरोप
यह पहली बार नहीं है जब रीतलाल यादव विवादों में घिरे हैं। उनकी पत्नी ने भी उन पर गंभीर आरोप लगाए थे। 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान रीतलाल को आरजेडी से टिकट नहीं मिला था, जिसके बाद उनकी पत्नी और परिवार के अन्य सदस्यों ने लालू प्रसाद यादव के आवास के बाहर धरना दिया था। पत्नी ने तब यह आरोप लगाया था कि रीतलाल और उनके सहयोगी आपराधिक गतिविधियों में लिप्त हैं, और पार्टी को इसकी जानकारी होने के बावजूद उन्हें संरक्षण दिया जा रहा है। हालांकि, बाद में लालू प्रसाद यादव ने परिवार को समझा-बुझाकर मामला शांत कर दिया था।
जेल में रहते हुए लड़ा चुनाव
रीतलाल यादव का आपराधिक और राजनीतिक इतिहास लंबा और विवादास्पद रहा है। वे 2010 में कई आपराधिक मामलों में कोर्ट में सरेंडर कर चुके थे और जेल से ही बिहार विधानसभा चुनाव लड़े थे, हालांकि तब वे हार गए थे। इसके बाद, 2015 में उन्होंने जेल में रहते हुए बिहार विधान परिषद (एमएलसी) का चुनाव निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में लड़ा और जीत हासिल की। 2020 में रीतलाल ने आरजेडी के टिकट पर दानापुर से विधानसभा चुनाव लड़ा और बीजेपी की आशा देवी सिन्हा को हराकर विधायक बने। रीतलाल पर हत्या, जबरन वसूली, अपहरण और जमीन हड़पने जैसे 42 से ज्यादा मामले दर्ज हैं, जिसमें बीजेपी नेता सत्यनारायण सिन्हा की हत्या का मामला भी शामिल है।