चतुर्वेदी ने कहा कि पूर्ववर्ती सरकार की उदासीनता और पदोन्नति में आरक्षण संबंधी न्यायालयीन प्रक्रिया के चलते, प्रदेश के लगभग 1 लाख से अधिक शिक्षक व कर्मचारी बिना किसी पदोन्नति के सेवानिवृत्त हो गए। इनमें से कई दिवंगत भी हो चुके हैं। ये सभी कर्मचारी जिस पद पर पहली बार नियुक्त हुए थे, उसी पद से सेवा समाप्त कर गए, जबकि उन्होंने 30 से 40 वर्षों तक निष्ठापूर्वक सेवाएं दीं।
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रेलवे का ऐलान, एमपी के 4 बड़े स्टेशनों से होकर चलेगी स्पेशल ट्रेन जब न्यायालय ने पदोन्नति संबंधी मार्ग स्पष्ट कर दिया है, तो सरकार को चाहिए कि वह इन कर्मचारियों को वरिष्ठता के आधार पर पदोन्नति का लाभ प्रदान करें, ताकि उन्हें पेंशन में भी उचित लाभ प्राप्त हो सके। चतुर्वेदी ने मुख्यमंत्री से निवेदन करते हुए कहा, “यदि आपने यह ऐतिहासिक निर्णय लिया, तो मध्य प्रदेश का हर शिक्षक और कर्मचारी आपको उसी श्रद्धा से याद करेगा जैसे पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह व मोतीलाल वोरा को आज भी याद किया जाता है।