पुष्करणा फागोत्सव में रंगों की बौछार, इन्द्र देव ने की हल्की फुहार तो हुड़दंग के साथ हुई झगड़ा गेर
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नागौर. होली के त्योहार पर धुलंडी के दिन शहर में पुष्करणा समाज की झगड़ा गेर निकाली गई। शुक्रवार को सुबह धुड़ गेर का आयोजन हुआ, जहां व्यास- मूथा समूह में काल्पनिक विवाह समारोह हुआ।
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पैसारों के गायन व पहेलागू सा के साथ धुड़ व राखा से होली खेलकर गेर का समापन किया। यहीं से यह गेर समाज गेर का रूप लेकर डागावाड़ी, कालीपोल, व्यास पोल, काठड़िया चौक, लोहिया का चौक, तेलीवाड़ा, गांधी वाड़ी, मूथा की बारी पहुंची, जहां व्यास, पुरोहित, बोहरा, कल्ला, बोड़ा, मूथा सगे संबंधियों की होरी का गायन हुआ।
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धुलंडी पर शाम को आयोजित झगड़ा गेर की जानकारी देते हुए कार्यकारिणी सदस्य संजय कुमार व्यास ने बताया कि गणेश मंदिर लोढ़ा का चौक में गणेश वन्दना गायन के साथ ऐतिहासिक झगड़ा गेर का शुभारंभ हुआ।
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इसमें व्यास, पुरोहित, बोहरा सगे संबंधियों की होरी का गायन करती गेर काली पोल स्थित ईलो जी उर्फ नाथूराम जी के मुहाने से झगड़ा गेर में परिवर्तित हो गई।
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समाज वापस दो टोलियों यथा व्यास- मूथा के रूप में बंट गया। सस्नेह धमाल करती, रंग पुष्प की वर्षा व इन्द्र देव की प्रसन्नता रूपी हल्की-सी बारिश के साथ हुड़दंग करती यह गेर लोढा का चौक से लोढ़ा की पोल तक पहुंची।
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जहां पहेलागू-पहेलागू सा कहते हुए एक-दूसरे के गले मिल कर झगड़ा गेर समाप्त हुई।
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तत्पश्चात वापस गेर मूथा की बारी, माही दरवाजा का चक्कर लगा कर लोढा का चौक पहुंची, जहां महाराज गजानंद फतेह करो का गायन कर, पहेलागू के साथ गेर का समापन हुआ।
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प्रसिद्ध झगड़ा गेर में रमेश व्यास, विजय व्यास, ओमप्रकाश मूथा, विनोद व्यास, घनश्याम लाल आचार्य, ठाकुरदत्त व्यास, गोविन्द लाल, अजय व्यास, रामनारायण पुरोहित, प्रभुदयाल मूथा सहित समाज बंधुओं व शहरवासियों ने भाग लिया।
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व्यास ने बताया कि पुष्करणा समाज के होली फागोत्सव का समापन शीतला अष्टमी को आयोजित होने वाली घुड़लिया गेर के साथ होगा।