फागोत्सव की धूम, उड़ी गुलाल, फूलों-केसर व ईत्र में भीगे नगरसेठ बंशीवाला
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होली की बहार : गर्भगृह से बाहर निकले बंशीवाला, फागोत्सव की धूमफागोत्सव में उड़ी गुलाल, फूलों- केसर व ईत्र में भीगे नगरसेठ बंशीवाला
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नागौर. शहर के बंशीवाला मंदिर में सोमवार को फागोत्सव में होली के रंगों की खुशबू से पूरा परिसर सराबोर नजर आया। राधा-कृष्ण की झांकी
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मंदिर में फागोत्सव में भजन और नृत्य से पूरा माहौल अलग ही दिखा। फागोत्सव में महिलाओं पर गुलाल की बारिश करते हुए पुजारी।
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नगरसेठ बंशीवाला सोमवार को होली खेलने गर्भगृह से बाहर निकले। गर्भगृह से बाहर निकलते ही महिलाओं ने उनको गुलाल एवं फूलों से नहला दिया।
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होली के रंग में रंगे बंशीवाला, राधा संग होली खेली बंशीवाला सरीखे भजनों के स्वर चंग की तान और ढोलक की थाप के साथ गूंजी तो फिर पूरा मंदिर परिसर का माहौल होली के रंग रंगा रहा।
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श्रद्धालु बंशीवाला के साथ होली खेलने के लिए आतुर नजर आए। मंदिर के मुख्य गेट से लेकर गर्भगृह तक तिल तक रखने की जगह नहीं रही।
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मौका था मंदिर में महिलाओं के फागोत्सव का। इसमें केवल महिलाएं ही शामिल हुई।
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बंशीवाला मंदिर में दोपहर दो बजे से महिलाओं का फागोत्सव शुरू हुआ। मंदिर के पुजारी नगरसेठ बंशीवाला की अनुमति लेने के बाद उनकी प्रतिमा को गर्भगृह से बाहर लेकर निकले।
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बाहर ही प्रतिमा को विराजित किया गया। इस दौरान महिलाओं ने पहले बंशीवाला का पूजन किया, फिर अपने संग होली खेलने की प्रार्थना की। महिलाओं ने बंशीवाला को गुलाल के रंग में रंगना शुरू किया तो भगवान की पूरी प्रतिमा रंगों के रंग में बदली नजर आई।
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बंशीवाला से होली खेलने के लिए महिलाओं में होड़ लगी रही। महिलाओं ने बंशीवाला की वंदना करने के साथ ही भजनों की प्रस्तुतियां शुरू की। इस दौरान रंग मत डालो रे सांवरिया, आजा सांवरिया, कानुडो रंग डार गयो, फागण आयो रे सांवरिया थारी याद सतावे रे, सदा आनंद रहे यही द्वारे मोहन खेले होली, बरसे रंग गुलाल श्याम तेरी होली में रंग डार गयो री मोपे सांवरा, होली खेल रहे नन्दलाल, आज बृज में होली रे रसिया सरीखे गीतों की प्रस्तुतियों से माहौल होली में बदला नजर आया।
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गुलाल एवं फूलों की हुई बारिश में बंशीवाला मंदिर परिसर में महिलाओं ने जमकर नृत्य किया। इस दौरान राधा-कृष्ण की सजी झांकी भी आकर्षण का केन्द्र बनी रही। राधा-कृष्ण की बनी झांकी में भूमिका निभा रही राधा व भगवान कृष्ण संग भी श्रद्धालुओं ने होली खेली। बंशीवाला संग होली खेलने के लिए गुलाल विशेष तौर पर मंगाया गया था। यह पूरी तरह से प्राकृतिक और केमिकल रहित था। इसी तरह गुलाब के लगभग डेढ़ सौ किलो से ज्यादा पुष्प मंगाए गए थे। चार घंटे तक चले फागोत्सव में हर कोई गुलाल के रंग से रंगा दिखा।