मिली जानकारी के मुताबिक, यह घटना शनिवार को निगड़ी प्राधिकरण स्थित सीएमएस स्कूल (CMS School Nigdi) में घटी। छात्रा का कहना है कि वह सुबह 10:15 बजे अपने पिता के साथ परीक्षा केंद्र पहुंची। जब वह 10.30 बजे अपने परीक्षा हॉल की ओर जा रही थी, तभी गेट पर मौजूद शिक्षकों ने उसे बुर्का उतारने के लिए कहा। छात्रा ने इसका विरोध किया और कहा कि वे उसकी जांच कर सकते हैं, लेकिन वह बुर्का नहीं हटाएगी। जिसके चलते शिक्षकों ने उसे परीक्षा हॉल में जाने से रोक दिया। फिर छात्रा ने अपने पिता को फोन कर बुलाया और फिर पुलिस तक यह मामला पहुंचा।
बीना स्कूल (Beena School) में पढने वाली छात्रा के पिता मेहबूब शेख ने बताया कि उनकी बेटी जांच के लिए तैयारी थी, लेकिन शिक्षकों ने उससे बुर्का परीक्षा हॉल के बाहर रखने को कहा। जब मैंने शिक्षकों से इस संबंध में कोई सरकारी दिशानिर्देश दिखाने को कहा। लेकिन उनके पास ऐसा कोई निर्देश नहीं था। इसके बाद मैंने पुलिस को बुलाया और फिर पुलिस के हस्तक्षेप के बाद छात्रा को बुरके के साथ परीक्षा देने की अनुमति दी गई।
स्कूल प्रशासन ने क्या कहा?
सीएमएस स्कूल के चेयरमैन टी. पी. विजयन ने इस विवाद को बेवजह बताया। उन्होंने कहा, “हमारे शिक्षकों ने छात्रा से केवल यह अनुरोध किया था कि वह अपनी पहचान सुनिश्चित करने के लिए अपना चेहरा दिखाए, जो कि परीक्षा नियमों के अनुसार आवश्यक था। शिक्षकों ने कभी भी उसे बुर्का पूरी तरह हटाने के लिए नहीं कहा। इस मामले को अनावश्यक विवाद बना दिया गया। छात्रा को आगे की परीक्षाओं में भी बुर्का के साथ परीक्षा देने की अनुमति दी जाएगी।” वहीँ, निगड़ी पुलिस स्टेशन के अधिकारी ने बताया कि छात्रा के पिता के फोन कॉल के बाद पुलिस मौके पर पहुंची और दोनों पक्षों से बात की। इसके बाद छात्रा को परीक्षा देने की अनुमति मिल गई। उन्होंने यह भी कहा कि यह मामला पूरी तरह से शिक्षा विभाग और स्कूल प्रशासन से संबंधित है, इसमें पुलिस की कोई भूमिका नहीं है।
पहले पेपर में नहीं पहना था बुर्का
पिंपरी-चिंचवड महानगरपालिका (PCMC) की शिक्षा अधिकारी संगीता बांगर ने स्पष्ट किया कि परीक्षा देने के दौरान बुर्का पहनने पर कोई आपत्ति नहीं थी, बल्कि शिक्षकों को छात्रा के चेहरे की पहचान हॉल टिकट से मिलानी थी। लेकिन उसने नकाब हटाने से इनकार कर दिया। अधिकारी ने बताया, “पहले मराठी पेपर के दौरान छात्रा बिना बुर्का और हिजाब के आई थी, लेकिन शनिवार को हुए दूसरे पेपर में वह बुर्का पहनकर पहुंची। उसके दोस्तों को इस प्रक्रिया से कोई समस्या नहीं थी, लेकिन उसने चेहरे की पहचान की जांच में सहयोग नहीं किया, जिससे यह विवाद खड़ा हुआ। छात्रा सुबह 10.40 बजे परीक्षा हॉल में दाखिल हुई और परीक्षा दी।
हाल ही में मंत्री नितेश राणे (Nitesh Rane) ने स्कूल शिक्षा मंत्री दादाजी भुसे (Dada Bhuse) को पत्र लिखकर मांग की थी कि दसवीं-बारहवीं की बोर्ड परीक्षाओं में बुर्का पहनकर परीक्षा देने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। इससे नकल की संभावना बढ़ जाती है और कभी-कभी कानून-व्यवस्था की समस्या भी पैदा होती है।