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मुरैना

नल जल योजना के कार्य में करोड़ों की गड़बड़ी, पांच ठेकेदार फर्में हुई ब्लैक लिस्ट, अधिकारियों पर गिरेगी गाज

Nal Jal Yojana: मध्यप्रदेश के इस जिले में नल जल योजना के तहत पाइपलाइन बिछाने के कार्य में भारी गड़बड़ी सामने आई है। यहां ठेकेदारों द्वारा फर्जी सीपेट सर्टिफिकेट से करोड़ों की ठगी का खुलासा हुआ है।

मुरैनाApr 10, 2025 / 10:45 am

Akash Dewani

Nal Jal Yojana: मध्यप्रदेश के मुरैना जिले में नल जल योजना के तहत पाइपलाइन बिछाने के कार्य में भारी गड़बड़ी सामने आई है। जांच में सामने आया कि ठेकेदारों ने फर्जी सीपेट (केन्द्रीय पेट्रो रसायन अभियांत्रिकी एवं प्रोद्योगिकी संस्थान) सर्टिफिकेट लगाकर करोड़ों रुपये का भुगतान उठा लिया। इस घोटाले में विभागीय अधिकारियों की संलिप्तता भी सामने आई है। पीएचई (लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी) विभाग ने मामले में सख्त कार्रवाई करते हुए पांच ठेकेदार फर्मों को ब्लैक लिस्टेड कर दिया है और तीन फर्मों पर अब भी जांच जारी है।

फर्जी सर्टिफिकेट के आधार पर लूटी सरकारी राशि

पीएचई विभाग ने वर्ष 2020 से 2022 के बीच नल जल योजना के तहत ठेकेदारों को पाइपलाइन बिछाने के ऑर्डर दिए थे। नियमानुसार, पाइपों की गुणवत्ता की पुष्टि के लिए सीपेट से सर्टिफिकेट आवश्यक था। लेकिन ठेकेदारों ने विभाग के कार्यपालन यंत्रियों, डिवीजनल अकाउंटेंट्स और सब इंजीनियरों की मिलीभगत से फर्जी सर्टिफिकेट तैयार कर भुगतान ले लिया। मुख्य अभियंता स्तर पर शिकायत मिलने के बाद जांच की गई तो कई अनियमितताएं सामने आईं।
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जांच में सामने आया घोटाला

शिकायतों के बाद मुख्य अभियंता कार्यालय ने मुरैना, दतिया और मुख्यालय स्तर के तीन अधिकारियों की एक जांच समिति गठित की। समिति ने विस्तृत जांच के बाद खुलासा किया कि मुरैना की आठ फर्मों ने नियमों को ताक पर रखकर फर्जी तरीके से भुगतान लिया है। इसके अलावा यह भी सामने आया कि ठेकेदार भुगतान प्राप्त करने के बाद भी पाइप विभाग को नहीं सौंपते थे और बाद में उन्हें खुर्द-बुर्द कर देते थे।

विपक्ष ने उठाई कार्रवाई की मांग

सीपेट के फर्जी सर्टिफिकेट के जरिए भुगतान लेने का यह मामला विधानसभा में भी गूंज चुका है। विपक्ष के उपनेता हेमंत कटारे ने इसे गंभीरता से उठाते हुए दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की थी। विपक्ष ने आरोप लगाया कि यह भ्रष्टाचार की बड़ी साजिश है, जिसमें न केवल ठेकेदार बल्कि विभागीय अधिकारी भी शामिल हैं।

एफआईआर की तैयारी

पीएचई विभाग ने बताया कि इस मामले में करीब एक दर्जन विभागीय अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाएगी। इसमें तीन कार्यपालन यंत्री, तीन डिवीजनल एकाउंटेंट, और कई सब इंजीनियर शामिल हैं। विभाग ने एफआईआर की प्रक्रिया पूरी कर ली है, कुछ कागजी औपचारिकताएं शेष हैं।
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ये फर्में हुईं ब्लैक लिस्टेड

  • जांच में दोषी पाए जाने पर विभाग ने जिन फर्मों को ब्लैक लिस्टेड किया है, वे इस प्रकार हैं:
  • मैसर्स इंडोतिया कंस्ट्रक्शन कंपनी, जौरी रोड मुरैना – 57 लाख 55 हजार 386 रुपये का फर्जी भुगतान
  • मैसर्स ए एस एम इंडस्ट्रीज, मुरैना – 1 करोड़ 58 लाख 868 रुपये
  • मैसर्स मां हरिसिद्धि कंस्ट्रक्शन कंपनी, सुजानगढ़ी कैलारस – 18 लाख 92 हजार 876 रुपये
  • मैसर्स प्रजाबंधु तिवारी, केशव कॉलोनी मुरैना – 8 लाख 30 हजार 547 रुपये
  • मैसर्स सूरज शर्मा, मुरैना – 15 लाख 58 हजार 868 रुप
इन फर्मों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए उन्हें विभागीय ब्लैक लिस्ट में डाल दिया गया है। तीन अन्य फर्में जांच के घेरे में हैं और जल्द ही उन्हें भी ब्लैक लिस्ट किया जाएगा।

मुख्य अभियंता ने दी सख्त कार्रवाई की चेतावनी

मुख्य अभियंता आर.एल.एस. मौर्य ने स्पष्ट किया है कि विभाग किसी भी भ्रष्टाचार को बर्दाश्त नहीं करेगा। उन्होंने कहा कि ‘मुरैना की पांच फर्मों को नियम विरुद्ध भुगतान के चलते ब्लैक लिस्टेड किया गया है। तीन फर्मों की जांच जारी है और उन्हें भी ब्लैक लिस्टेड किया जाएगा। दोषी अधिकारियों के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।’

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