इस बाबत आश्रम की ओर से सूचना जारी की गई, जिसमें कहा गया है कि होली के पावन पर्व के चलते व महाराज के स्वास्थ्य की अनुकूलता को ध्यान में रखते हुए रात्रि दो बजे से निकलने वाली पदयात्रा 10 मार्च से 14 मार्च तक नहीं निकाली जाएगी। भक्तों से आह्वान किया गया है कि वह इन दिनों में दर्शन के लिए न आयें। बताया गया कि प्रवचन और एकांतिक वार्ता का कार्यक्रम पूर्व की भांति जारी रहेगा।
पहले भी बंद बंद की गई थी पदयात्रा
इससे पहले 4 फरवरी को NRI ग्रीन सोसाइटी के लोगों विरोध के बाद संत प्रेमानंद महाराज ने 6 फरवरी से अपनी रात्रिकालीन पदयात्रा स्थगित कर दी थी। प्रेमानंद महाराज श्री कृष्ण शरणम् सोसाइटी से रात 2 बजे की जगह सुबह 4 बजे कार से केली कुंज आश्रम जाने लगे थे। बाद में विरोध करने वालों ने पदयात्रा शुरू करने की अपील की थी, जिसके बाद संत प्रेमानंद महाराज ने अपनी रात्रिकालीन पदयात्रा शुरू की।
13 साल की उम्र में प्रेमानंद जी महाराज ने छोड़ा था घर
प्रेमानंद महाराज का जन्म कानपुर के अखरी गांव में हुआ।उनके माता-पिता अत्यंत धार्मिक प्रवृत्ति के थे। इससे उनके बालमन में भक्ति के बीज बचपन से ही अंकुरित हो गए। प्रेमानंद महाराज का असली नाम अनिरुद्ध कुमार पांडेय था, लेकिन नियति ने उनके लिए कुछ और ही तय कर रखा था। 13 वर्ष की आयु में ही उन्होंने सांसारिक मोह-माया को त्यागकर संन्यास का मार्ग अपना लिया।