दिव्य प्रतिमा और अद्वितीय स्थान
काली माता का यह मंदिर अपनी विशेषता के लिए प्रसिद्ध है। यह दुनिया का इकलौता ऐसा मंदिर है, जो सात रास्तों के संगम पर स्थित है। कहा जाता है कि बंगाल के देवी उपासकों ने वायुमार्ग से जा रही माता की प्रतिमा को यहां साधना कर विराजित किया था। इस मंदिर में काली माता के साथ भैरव भगवान की भी मूर्ति स्थापित है, जो अन्य देवी मंदिरों से अलग पहचान बनाती है। यह भी पढ़े –
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मंदिर से जुड़े पंडित कपिल शर्मा ने बताया कि नवरात्र के दौरान काली माता का पूजन मैथिली काली पूजा पद्धति से होगा। कालयुक्त नाम संवत्सर के चलते इस बार नवरात्र आठ दिनों का होगा। मंदिर में प्रतिदिन सुबह सवा पांच बजे और शाम सवा सात बजे माता की आरती होगी। वहीं अष्टमी-नवमी की रात विशेष महा आरती का आयोजन किया जाएगा।
नौ दिनों तक विशेष भोग और महा निशाकाल पूजन
नवरात्र के दौरान प्रतिदिन माता को विशेष भोग अर्पित किया जाएगा। अष्टमी के दिन महा निशाकाल में रात 12 बजे विशेष आरती और पूजन होगा। मंदिर में प्रतिदिन सैकड़ों श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचते हैं। इस अवसर पर माता का दिव्य श्रृंगार कर भक्तों को अद्वितीय आध्यात्मिक अनुभूति का अवसर प्रदान किया जाएगा। यह भी पढ़े –
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चैत्र नवरात्र के पहले दिन सुबह साढ़े चार बजे मंदिर के पट खोले गए। सवा पांच बजे माता का पूजन और आरती के साथ घट स्थापना और जयंती रोपण की गई। श्रद्धालुओं में नवरात्र के प्रति अपार उत्साह है और मंदिर परिसर में भक्तों की भीड़ उमड़ रही है।
विशिष्पूजा का अद्भुत माहौल
महू का काली माता मंदिर नवरात्र में तांत्रिक पूजा और दिव्य श्रृंगार के साथ आस्था का अद्भुत संगम प्रस्तुत कर रहा है। श्रद्धालुओं का मानना है कि यहां माता के दर्शन से सभी कष्ट दूर होते हैं और मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।