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30 हजार किसानों ने अब तक नहीं कराया पंजीयन, सरकारी लाभ मिलने से हो सकते हैं वंचित..

Digital Kisan ID Scheme: महासमुंद जिले में किसानों की डिजिटल किसान आईडी बनाई जा रही है। लगभग दो माह में एक लाख 574 किसानों की डिजिटल आईडी बन चुकी है।

महासमुंदMar 28, 2025 / 03:35 pm

Shradha Jaiswal

30 हजार किसानों ने अब तक नहीं कराया पंजीयन, सरकारी लाभ मिलने से हो सकते हैं वंचित..
Digital Kisan ID Scheme: छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले में किसानों की डिजिटल किसान आईडी बनाई जा रही है। लगभग दो माह में एक लाख 574 किसानों की डिजिटल आईडी बन चुकी है। 31 मार्च अंतिम तिथि है और 76.74 प्रतिशत किसानों की डिजिटल आईडी बन चुकी है और 24 प्रतिशत किसानों की आईडी बनना अभी भी शेष है।
जिले में कुल एक लाख 31 हजार किसानों की आईडी बनाने का लक्ष्य रखा गया है। जिले में गुरुवार को ही 1935 किसानों ने डिजिटल किसान आईडी के लिए आवेदन किया है। बुधवार को भी 1904 किसानों ने डिजिटल आईडी के लिए पंजीयन कराया। जैसे-जैसे अंतिम तिथि नजदीक आ रही है, किसान बड़ी संख्या में पंजीयन करा रहे हैं।

Digital Kisan ID Scheme: ये दस्तावेज आवेदन के लिए जरूरी

अभी भी 30 हजार से ज्यादा किसानों का पंजीयन नहीं हो पाया है। प्रशासन द्वारा प्रचार-प्रसार भी किया जा रहा है। हालांकि, एक लाख 574 किसानों ने आईडी बनाई है। कृषि भूमि को आधार से भी जोड़ा जाएगा। कृषि क्षेत्र में डिजिटल क्रांति लाने प्रयास किया जा रहा है। इसके माध्यम से किसानों को सरकारी योजनाओं का सीधा लाभ मिलेगा। एग्री स्टेक परियोजना के तहत किसानों की डिजिटल फार्मर आईडी (किसान कार्ड) बनाई जा रही है।
आईडी के माध्यम से प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, किसान क्रेडिट कार्ड, उर्वरक अनुदान, मृदा स्वास्थ्य कार्ड, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना और कृषि यंत्र अनुदान जैसी योजनाओं का लाभ आईडी के माध्यम से दिया जाएगा। लोक सेवा केंद्रों के माध्यम से किसानों की आईडी बनाई जा रही है। सहायक संचालक परमजीत सिंह ने बताया कि आईडी बनाने का कार्य जारी है। पिछले कुछ दिनों से किसान पंजीयन में तेजी आई है।

11 अंकों की मिलेगी विशिष्ट पहचान

इस योजना के तह किसानों को आधार से जुड़ी 11 अंकों की एक यूनिक किसान आईडी प्रदान की जा रही है। इससे वे डिजिटल रूप से अपनी पहचान को प्रमाणित कर सकेंगे। यह पहल किसानों को सरकारी योजना का लाभ लेने में सहायक होगी। कृषि क्षेत्र में किसानों के कार्य भी आईडी के माध्यम से ऑनलाइन हो सकेंगे।

पंजीयन नहीं होने पर हो सकती है परेशानी

किसानों का पंजीयन नहीं होने पर योजनाओं का लाभ मिलने में परेशानी का सकती है। एक बार पंजीयन हो जाने के बाद बार-बार दस्तावेज जमा करने का झंझट भी खत्म हो जाएगा। पंजीयन के बाद मिले कार्ड से पंजीयन कराना जरूरी है। आईडी के माध्यम से किसानों का केंद्रीकृत डेटाबेस बनेगा। इसके तहत कृषि क्षेत्र में बेहतर नीतियों का निर्माण किया जा सकेगा।
फार्मर आईडी बनवाने के लिए कृषि भूमि का बी-1, खसरा, ऋण पुस्तिका और आधार से लिंक मोबाइल नंबर जिस पर आधार सत्यापन व ओटीपी प्राप्त हो प्रस्तना करना जरूरी है। कृषि विभाग के सहायक संचालक परमजीत सिंह ने बताया कि एक लाख से ज्यादा आईडी बन चुकी है। 24 प्रतिशत लोगों के आवेदन आने शेष है।

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