जानकारी के मुताबिक 2019 में एनीमिया व कुपोषण को समाप्त करने के लिए योजना बनाई गई थी। इसके तहत सुपोषण अभियान की शुरुआत की गई थी। इसके अलावा 2023 के मार्च में यूनिसेफ की एक बैठक में पांच संकल्प लिए गए थे। इसमें एनीमिया से मुक्ति का भी संकल्प लिया गया था। बावजूद इसके एनीमिया के मरीजों की संख्या बढ़ रही है। वर्ष 2021-22 में 15000 महिलाएं एनीमिया से पीड़ित थी। स्वास्थ्य विभाग और महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा तरह-तरह के सुपोषण अभियान, पूरक पोषण आहार, गर्म भोजन व फोर्टिफाइड चावल वितरण जैसे अभियान चलाया जा रहा है। बाद भी प्रतिवर्ष जांच में एनीमिक महिलाएं मिल रही हैं।
गर्भवती महिलाएं भी पीड़ित जिले में 22071 गर्भवती महिलाएं पंजीकृत हैं। इनमें में 16018 गर्भवती महिलाओं को एनीमिया हैं। जिनका उपचार भी जारी है। कुछ महिलाएं स्वस्थ भी हो चुकी है। वहीं 491 महिलाएं सीवियर एनीमिया से पीड़ित हैं। डॉक्टरों का कहना है कि सभी उपचारित है। शरीर में खून(Mahasamund news) की मात्रा घटने पर एनीमिया का खतरा बढ़ जाता है। कुछ मामलों में यह खतरनाक भी हो जाता है। महिला एवं बाल विकास अधिकारी समीर पांडे ने बताया कि महिलाओं को गर्म भोजन का वितरण किया जा रहा है। आयरन सप्लीमेंट आदि भी प्रदान किया जाता है। पी कुडे़सिया ने बताया कि महिलाओं को फोलिक एसिड सिरप दी जाती है। सभी स्वास्थ्य केंद्रों में जांच होती है।
उचित मूल्य की दुकानों से कुपोषण दूर करने व महिलाओं को पोषक आहार प्रदान करने के लिए फोर्टिफाइड चावल का भी वितरण किया जा रहा है। फोर्टिफाइड चावल में आयरन, फॉलिक एसिड, विटामिन बी 12 जैसे पोषक तत्व होते हैं। इससे एनीमिया जैसी बीमारियों की मुक्ति मिल सकती है। लेकिन कई ग्रामीण इस चावल का उपयोग नहीं कर रहे हैं।
क्या होता है एनीमिया एनीमिया का अर्थ है शरीर में खून की कमी। शरीर में हिमोग्लोबिन एक ऐसा तत्व है, जो शरीर में खून की मात्रा को बताता है। महिलाओं में 11 से 14 के (Mahasamund news) बीच होना चाहिए। एनीमिया में तीन प्रकार के होते हैं। माइल्ड, मोडरेट और सीवियर होते हैं। एनीमिया में रक्त कोशिकाओं की संख्या या उनकी ऑक्सीजन वहन क्षमता शारीरिक जरूरतों को पूरा करने के लिए अपर्याप्त रहती है।
इसके लक्षण थकान, सांस में तकलीफ आदि होती है। पिछले वर्ष एक सर्वे किया गया था, जिसमें 69844 बच्चों की जांच की गई थी। इसमें भी 444 बच्चों में रक्त की कमी पाई गई थी। जिसके बाद बच्चों का उपचार कराया गया था। बता दें कि आंगनबाड़ी में सुपोषण अभियान चलाया जा रहा है और गर्म भोजन बच्चों को कराया जाता है, लेकिन इसके बाद भी बच्चे पीड़ित मिलते हैं।