इस प्रणाली के तहत अब शराब की मांग, आपूर्ति और बिक्री की हर गतिविधि पर ऑनलाइन निगरानी रखी जाएगी। इस पूरी व्यवस्था को इस तरह डिज़ाइन किया गया है कि किसी भी स्तर पर घपले या टैक्स चोरी की गुंजाइश ना रहे। विभाग को चालू वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए ₹63,000 करोड़ का राजस्व लक्ष्य दिया गया है, जिसके चलते यह कदम काफी अहम माना जा रहा है।
शराब की मांग और आपूर्ति की प्रक्रिया में बड़ा बदलाव
नई नीति के मुताबिक थोक विक्रेताओं को अब शराब की मांग सीधे ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से फैक्ट्रियों को भेजनी होगी। यह डिमांड तभी मानी जाएगी जब उसका पूरा भुगतान पहले ही कर दिया गया हो। केवल भुगतान की पुष्टि के बाद ही फैक्ट्री से शराब की निकासी संभव होगी। इसके अलावा संबंधित टैक्स का भुगतान भी पूरी तरह से डिजिटल माध्यम से होगा। फैक्ट्रियों में सीसीटीवी और वाहनों में GPS की निगरानी
आबकारी विभाग ने शराब के उत्पादन से लेकर आपूर्ति तक की प्रक्रिया पर चौकसी बढ़ा दी है। डिस्टलरियों में अब हाई-रेज़ोल्यूशन सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं, जिससे हर गतिविधि पर 24×7 नजर रखी जा सके। वहीं, ट्रांसपोर्टेशन के दौरान किसी भी हेराफेरी को रोकने के लिए शराब ले जाने वाले वाहनों में GPS सिस्टम भी अनिवार्य कर दिया गया है। अब हर गाड़ी की मूवमेंट को विभाग के कंट्रोल रूम से ट्रैक किया जा सकता है। इससे यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि शराब सीधे गंतव्य पर ही पहुंचे और बीच में कहीं कोई अवैध निकासी या रूट डायवर्जन न हो।
ई-लाटरी से दुकानों का आवंटन, पारदर्शिता की नई पहल
सरकार ने शराब और भांग की दुकानों के आवंटन में भी पारदर्शिता बढ़ाने के लिए ई-लाटरी सिस्टम लागू किया है। अब तक तीन चरणों में ई-लाटरी के जरिए दुकानों का आवंटन हो चुका है। इसके तहत देशी शराब की 16, कंपोजिट की 4, भांग की 32 और एक मॉडल शॉप का आवंटन बाकी रह गया है। राजस्व में जबरदस्त उछाल की उम्मीद
राज्य सरकार को वित्तीय वर्ष 2024-25 में शराब और भांग से ₹52,297.08 करोड़ की आय हुई है, जबकि 2023-24 में यह आंकड़ा ₹45,570.47 करोड़ और 2022-23 में ₹41,252.24 करोड़ था। लगातार बढ़ती कमाई को देखते हुए सरकार ने इस बार ₹63,000 करोड़ का टारगेट निर्धारित किया है। आबकारी विभाग की नई प्रणाली से यह उम्मीद की जा रही है कि न केवल राजस्व बढ़ेगा, बल्कि माफिया तंत्र और अवैध धंधे पर भी कड़ा प्रहार होगा।
सरकार का उद्देश्य: पारदर्शिता, जवाबदेही और राजस्व में वृद्धि
यह नीति राज्य सरकार की उस व्यापक रणनीति का हिस्सा है जिसके तहत विभिन्न विभागों को डिजिटलाइजेशन और पारदर्शिता के माध्यम से दक्षता बढ़ाने की दिशा में काम करने को कहा गया है। आबकारी विभाग की इस नई पहल को नीति-निर्माताओं और अर्थशास्त्रियों द्वारा काफी सराहा जा रहा है।