scriptAnsal API के ठिकानों पर आयकर विभाग का छापा: 38 करोड़ कैश, सोना और दस्तावेज जब्त, निवेशकों की रकम से हेराफेरी का शक | Income Tax Raids on Ansal API Unearth ₹38 Crore Cash, Gold and Suspicious Documents | Patrika News
लखनऊ

Ansal API के ठिकानों पर आयकर विभाग का छापा: 38 करोड़ कैश, सोना और दस्तावेज जब्त, निवेशकों की रकम से हेराफेरी का शक

Ansal Group News: अंसल एपीआई के ठिकानों पर आयकर विभाग की छापेमारी में 38 करोड़ रुपये नकद, सोना और बड़ी मात्रा में संदिग्ध दस्तावेज बरामद हुए हैं। कार्रवाई कंपनी द्वारा खुद को दिवालिया घोषित करने की प्रक्रिया के दौरान हुई। टैक्स चोरी और निवेशकों की रकम डाइवर्ट करने की आशंका जताई जा रही है।

लखनऊApr 10, 2025 / 08:04 am

Ritesh Singh

दो दिन से जारी है छापेमारी, 8 ठिकानों पर एक साथ कार्रवाई, दिल्ली से पहुंची विशेष टीम, दिवालिया प्रक्रिया के बीच सामने आई बड़ी गड़बड़ी

दो दिन से जारी है छापेमारी, 8 ठिकानों पर एक साथ कार्रवाई, दिल्ली से पहुंची विशेष टीम, दिवालिया प्रक्रिया के बीच सामने आई बड़ी गड़बड़ी

Ansal API Raid: रियल एस्टेट क्षेत्र की बड़ी कंपनी अंसल एपीआई एक बार फिर कानूनी घेरे में आ गई है। इस बार मामला सीधा आयकर विभाग से जुड़ा है, जिसने दिल्ली और लखनऊ समेत अंसल एपीआई के 8 ठिकानों पर एक साथ छापा मारते हुए 38 करोड़ रुपये नकद, भारी मात्रा में सोना, ज्वेलरी और संदिग्ध दस्तावेज बरामद किए हैं। सोमवार को शुरू हुई यह छापेमारी मंगलवार देर रात तक जारी रही। इतनी बड़ी मात्रा में नकदी मिलने के बाद बैंक से विशेष मशीनें मंगवाकर नोटों की गिनती की गई। अधिकारियों ने बताया कि अब तक की छानबीन में जमीन की खरीद-फरोख्त में कैपिटल गेन टैक्स की अनियमितता के कई सबूत मिले हैं।
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कंपनी पर पहले भी लग चुके हैं आरोप

सूत्रों की मानें तो करीब एक दशक पहले भी अंसल एपीआई के आयकर रिटर्न्स को लेकर नोटिस जारी हुआ था। अब एक बार फिर उसी तरह की संदिग्ध लेनदेन के दस्तावेज विभाग के हाथ लगे हैं। इस बार की कार्रवाई ऐसे वक्त हुई है जब कंपनी ने खुद को दिवालिया घोषित करने की प्रक्रिया शुरू की थी।
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कैश और गोल्ड की बरामदगी

मंगलवार को जब आयकर अधिकारी कंपनी के गोमती नगर, हजरतगंज, नोएडा और दिल्ली स्थित ठिकानों पर पहुंचे, तो कई जगहों पर कैश की बड़ी मात्रा में मौजूदगी ने सभी को चौंका दिया। अनुमान के अनुसार,
  • नकद: ₹38 करोड़
  • सोने की ईंटें और आभूषण: मूल्यांकन जारी
  • गोपनीय दस्तावेज: कई संदिग्ध लेनदेन के रिकॉर्ड
Income Tax Department Action

बयान दर्ज, संपत्ति का लेखा-जोखा मांगा

जांच के दौरान कंपनी के निदेशकों से पूछताछ की गई। प्रारंभिक पूछताछ में निदेशकों ने कहा कि वे चल संपत्तियों का पूरा लेखा-जोखा विभाग को देंगे। हालांकि आयकर अधिकारियों को शक है कि कई संपत्तियां बेनामी हैं या गलत दस्तावेजों पर खरीदी गई हैं।
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कैपिटल गेन टैक्स में गड़बड़ी का संदेह

आयकर विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि जमीन की खरीद और बिक्री के बीच कैपिटल गेन टैक्स की चोरी का बड़ा खेल चल रहा था। कई बार जमीन को कम कीमत पर खरीद कर ज्यादा कीमत पर बेचा गया लेकिन लाभ को आयकर रिटर्न में नहीं दर्शाया गया।

 8 ठिकानों पर एक साथ छापा, लखनऊ मुख्यालय भी अंजान

दिल्ली से आई विशेष टीम ने अंसल एपीआई के 8 ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की। खास बात यह रही कि यह कार्रवाई इतनी गोपनीय रखी गई थी कि लखनऊ आयकर मुख्यालय तक को इसकी भनक नहीं लगी। टीमों ने फील्ड में जाकर डिजिटल डेटा, कंप्यूटर हार्ड डिस्क और प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन से जुड़े कागजात जब्त किए हैं।
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निवेशकों की पूंजी से दूसरे प्रोजेक्ट्स में निवेश

सूत्रों का यह भी दावा है कि आयकर विभाग को ऐसे दस्तावेज मिले हैं जिनसे यह संदेह गहरा गया है कि अंसल एपीआई ने निवेशकों से लिए गए पैसों को अन्य परियोजनाओं में डायवर्ट किया, जिससे समय पर प्रोजेक्ट्स पूरे नहीं हो सके और कई लोग अपनी जिंदगी की कमाई गंवा बैठे।

 निवेशकों में चिंता और आक्रोश

इस कार्रवाई के बाद निवेशकों में एक बार फिर चिंता की लहर है। जिन लोगों ने सालों पहले फ्लैट या प्लॉट बुक कराए थे, उन्हें आज तक पजेशन नहीं मिला है। अब जब कंपनी पर इतनी बड़ी कर चोरी का मामला सामने आया है, तो उनकी निवेश राशि की सुरक्षा पर भी सवाल खड़े हो गए हैं।
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आगे की कार्रवाई क्या हो सकती है

आयकर विभाग द्वारा बरामद नकदी, ज्वेलरी और दस्तावेजों के आधार पर अब कंपनी के खिलाफ कर चोरी, बेनामी संपत्ति अधिनियम और काले धन से जुड़े अन्य कानूनों के तहत कार्रवाई की जा सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि अंसल एपीआई पर लगे आरोप सिद्ध हो जाते हैं, तो कंपनी के शीर्ष पदाधिकारियों पर भी कानूनी शिकंजा कस सकता है।
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अंसल एपीआई जैसे बड़े डेवलपर पर आयकर विभाग की यह छापेमारी रियल एस्टेट सेक्टर के लिए एक बड़ा संकेत है। इससे न सिर्फ बाजार में पारदर्शिता बढ़ेगी, बल्कि उन कंपनियों को भी चेतावनी मिलेगी जो कालेधन और टैक्स चोरी के जरिए अपना साम्राज्य खड़ा कर रही हैं।

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