ईद पर सेवइयां क्यों खाते हैं, इस्लाम से नहीं है कनेक्शन, जानिए Sevai कैसे भारत पहुंचा
Sevai History: सेवई का इतिहास 600 साल से अधिक पुराना है। तमिल इतिहास में भी इसका जिक्र है। आइए जानते हैं कि Eid पर सेवइयां क्यों खाते हैं और सेवई भारत कैसे पहुंचा?
सेवई ईद पर क्यों खाते हैं और सेवई का इतिहास क्या है
Sevai History: एक प्रकार से चांद और सेवई को ईद (Eid) कह सकते हैं। इन दोनों का महत्व ईद पर दिखता है। चांद का ईद (Eid Chand) से धार्मिक कनेक्शन है क्योंकि, बिना चांद के ईद नहीं मन सकती। लेकिन, सेवई का ऐसा कोई धार्मिक कनेक्शन नहीं है। पर ये ईद (Eid 2025) के साथ कैसे इतना गहरे तरीके से जुड़ गया। इसके पीछे भी एक कहानी है। आप ये सोच रहे होंगे कि शायद सेवइयां अरब से आई हैं इसलिए, तो ऐसा बिलकुल नहीं है।
सेवई का इतिहास (Seviyan history in Hindi) करीब 600 साल पुराना है। साथ ही किसी और देश से जुड़ा है। हम इन सेवइयों से जुड़ी तमाम बातों को सेवई के इतिहास के साथ जानेंगे। साथ ही साथ ये भी जानेंगे कि ये सेवइयां भारत कैसे पहुंची (Seviyan history in india)।
सेवई से जुड़ी रोचक बातें जानेंगे (Seviyan history Facts)
सेवई या सेवइयां का मतलब क्या होता है?
सेवइयां का इतिहास क्या है?
सेवई किस देश में पहले बना था?
सेवई भारत कैसे आया?
ईद पर सेवई क्यों खाते हैं?
1 – सेवई या सेवइयां का मतलब क्या होता है?
Vermicelli का अर्थ लैटिन भाषा में “छोटे कीड़े” होता है, क्योंकि इसकी बनावट पतली और लंबी होती है। हिंदी में सेवई या सेवइयां कहते हैं। तमिल भाषा में सेवई को “संथकई” हैं जो चावल से बनाए जाते हैं।
2 – सेवइयां का इतिहास क्या है?
सेवइयां का इतिहास करीब 600 साल से अधिक पुराना है। जानकारी के मुताबिक, 13वीं शताब्दी में इटली के एक मशहूर शेफ व लेखक Martino da Como ने अपनी किताब “Libro de Arte Coquinaria” (15वीं शताब्दी) में Vermicelli का उल्लेख किया। इस हिसाब से ये माना जाता है कि सबसे पहले इटली में ही ये बना था। मध्यकालीन नेपल्स (Naples, Italy) के इलाके में 13वीं-14वीं शताब्दी में Vermicelli का उत्पादन किया जाने लगा। इसके बाद वो अरब व अन्य देश सेवई पहुंचा।
सेवई के भारत पहुंचने के तार अरब देश से जुड़ते हैं। बताया जाता है कि अरब व्यापारियों और मुगल शासकों के माध्यम से यह 12वीं-16वीं शताब्दी के बीच भारत आया और यहां इसे सेवंइया कहा जाने लगा। इतिहास में ये भी कहा जाता है कि दक्षिण के राजा अरब देश जाते थे। भारत की पहली मस्जिद भी अरब देश की देन मानी जाती है। इस तरह से भारत में सेवइयां पहुंचा।
सेवई और इडियप्पम का संदर्भ पहली शताब्दी ईस्वी की एक प्राचीन पुस्तक में मिलता है। यह बुक प्राचीन दक्षिणी भारत के तमिल साहित्य का अहम हिस्सा है। सेवई बनाने के प्रोसेस और इसमें यूज होने वाले मोल्ड प्रेस का उल्लेख एक रसोई किताब “लोकोपकारा” (1025 सीई) मिलता है।
4- ईद पर सेवइयां क्यों खाते हैं?
ईद-उल-फितर जैसे मीठी ईद भी कहते हैं। ये मक्का से मोहम्मद पैगंबर के प्रवास के बाद पवित्र शहर मदीना में शुरू हुआ। धार्मिक मान्यता ये है कि पैगंबर हजरत मुहम्मद ने बद्र की लड़ाई में विजयी होकर लौटे थे तब उसी खुशी में सबको मीठा खिलाया गया था। वहीं से मीठी ईदी या ईद-उल-फितर को मनाना शुरू किया गया। इसलिए ईद पर सेवई आदि बनाकर खाया जाता है।
Hindi News / Lifestyle News / ईद पर सेवइयां क्यों खाते हैं, इस्लाम से नहीं है कनेक्शन, जानिए Sevai कैसे भारत पहुंचा