रेलवे में डमी कैंडिडेट के जरिए पाई थी नौकरी, जांच के बाद सपना और आशा बर्खास्त, जानें क्या है पूरा मामला
Fake Job in Railway : डमी कैंडिडेट के जरिए रेलवे में फर्जी तरीके से नौकरी हासिल करने के मामले में कोटा मंडल रेल प्रशासन ने सपना मीणा और आशा मीणा को सेवा से बर्खास्त कर दिया है। जानें क्या है पूरा मामला।
Fake Job in Railway : डमी कैंडिडेट के जरिए रेलवे में फर्जी तरीके से नौकरी हासिल करने के मामले में कोटा मंडल रेल प्रशासन ने सपना मीणा और आशा मीणा को सेवा से बर्खास्त कर दिया है। प्रकरण सामने आने के बाद से दोनों को निलबित कर रेलवे और सीबीआई की ओर से जांच की जा रही थी। रेलवे की जांच पूरी होने के बाद दोनों को बर्खास्त (टर्मिनेट) कर दिया है।
जांच में दोषी मिलीं, दोनों रेलवे सेवा से बर्खास्त – सीनियर डीसीएम
कोटा रेल मंडल के सीनियर डीसीएम सौरभ जैन ने बताया कि रेलवे भर्ती में फर्जीवाड़े का मामला सपना मीणा और उसके पति में विवाद होने के बाद उस समय सामने आया, जब पति मनीष ने रेलवे को जानकारी देते हुए दस्तावेज प्रस्तुत किए। मामले में सपना मीणा को निलबित कर जांच शुरू की। इसके बाद जांच में आशा मीणा का नाम भी सामने आया। दोनों जांच में दोषी पाई गई। इस आधार पर रेलवे प्रशासन ने दोनों को रेलवे सेवा से बर्खास्त कर दिया है।
सीबीआई और रेलवे की जांच जारी
इस मामले में सपना और आशा को डमी कैंडिडेट के जरिए नौकरी दिलाने में सहयोग करने वाले गार्ड राजेंद्र मीणा और टेक्नीशियन चेतराम मीणा पहले ही निलंबित किए जा चुके हैं। इन दोनों पर भी जल्द निर्णय हो सकता है। वहीं, सीबीआई और रेलवे प्रशासन मामले की गहराई से जांच कर रहे हैं। माना जा रहा है कि दोनों की सीबीआई शीघ्र गिरफ्तारी कर सकती है।
सपना टीआरडी विभाग में हेल्पर पद पर नियुक्त थी और वर्तमान में कोटा डीआरएम ऑफिस में कार्यरत थी। इसी प्रकार आशा मीणा सोगरिया स्टेशन पर प्वॉइंट्समैन के पद पर कार्यरत थी। जांच में सामने आया कि सपना और आशा के नाम से दिल्ली में हेड कांस्टेबल पद पर तैनात लक्ष्मी मीणा ने रेलवे भर्ती परीक्षा दी थी। यहां तक कि दस्तावेज़ सत्यापन और मेडिकल टेस्ट भी सपना के बजाय लक्ष्मी ने ही दिए। चयन होने पर सपना खुद सामने आ गई और ट्रेनिंग के लिए सिरसा, हरियाणा भेज दी गई। इसके बाद उसे बीकानेर में नियुक्ति मिली और फिर म्यूचुअल ट्रांसफर के जरिए कोटा आ गई।
पति मनीष ने आरोप लगाया था कि उसने सपना की नौकरी लगवाने के लिए 15 लाख रुपए खर्च किए, जो उसने जमीन बेचकर जुटाए। यह राशि गार्ड राजेंद्र मीणा को दी गई थी, जिसके सबूत भी उसने सीबीआई को सौंप दिए।
जांच में सामने आया कि डमी कैंडिडेट के जरिए रेलवे में फर्जी नौकरी लगने के और भी मामले सामने आ सकते हैं। कुछ ऐसे कर्मचारी भोपाल में कार्यरत पाए गए हैं, जिनकी भर्ती संदिग्ध मानी जा रही है। इनमें से कई नौकरी लगवाने वालों के करीबी रिश्तेदार बताए जा रहे हैं।