आग बुझाने, नियंत्रित करने का पुख्ता इंतजाम नहीं
प्रदेश के मुरैना में अस्पताल के ऑपरेशन थियेटर के बाहर आग लगने की घटना के बाद गुरुवार को एक बार फिर खंडवा अस्पताल में अधिकारी आग के आग बुझाने की व्यवस्था को लेकर सक्रिय हो गए। अस्पताल में आग बुझाने के पुख्ता इंतजाम नहीं है। मरीजों की सुरक्षा भगवान भरोसे है। सिस्टम को चालू कराने चार साल से कागजी घोड़ेदौड़ा रहे हैं। हैरानी की बात तो यह कि मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के ए-बी ब्लाक भवन में चार करोड़ रुपए की लागत से निर्माण किए गए फायर फिटिंग सिस्टम चार साल से संचालित ( ऑपरेशनल मोड ) नहीं हो सका।
अस्पताल के पास रो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट नहीं
अस्पताल में फायर सिस्टम चालू नहीं होने पर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल बिना फायर एनओसी ( नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट ) संचालित हो रहा है। इतना ही नहीं करीब साढ़े छह सौ बेड का अस्पताल आग से सुरक्षित नहीं है। अस्पताल प्रबंधन का दावा है कि हमारे पास आग से निपटने के लिए अग्निशमन यंत्र पर्याप्त मात्रा में है। तकनीकी एनओसी है। नर्स से लेकर अन्य कर्मचारियों को इसके लिए प्रशिक्षण दिया गया है।
आग लगने पर मरीजों को बचाना होगा मुश्किल
अस्पताल के ए-बी ब्लॉक में करीब 4 करोड़ की लागत के उपकरण लगाए गए हैं। इसमें 36 लाख के उपकरण तीन साल पहले ही चोरी हो गए हैं। केस दर्ज कराकर इतिश्री कर ली गई। मेडिकल कॉलेज और जिला अस्पताल की नए भवन का निर्माण 200.51 करोड़ रुपए की लागत से 2021 में पूरा हुआ था। सुरक्षा की दृष्टि से लगभग 4 करोड़ रुपए की लागत से उपकरण लगाए गए। उपकरण सुरक्षित नहीं है।
पाइप व नोजल चोरी हो गए
तीन साल पहले सितंबर 2022 में ए व बी-ब्लॉक के बाहर फायर हाईड्रेंट से पाइप व नोजल चोरी हो गए। ऐसे में तत्काल आग पर काबू कैसे करेंगे। नियंत्रित करना मुश्किल होगा। दिखावे के कुछ उपकरण लगे हैं। अस्पताल में हर दिन औसत 1200 से 1500 मरीज इलाज के लिए पहुंचते हैं। भवन के भीतर हर समय करीब दो से ढाई हजार लोग रहते हर वक्त रहते हैं। इसमें मरीज, कर्मचारी और अस्पताल के स्टाफ कॉलोनी के कर्मचारी शामिल हैं।
एसनसीयू में फायर एक्जिट निर्माण कागजों में उलझा
बी-ब्लॉक में बच्चों का पीआईसीयू, एसएनसीयू, गायनिक ऑपरेशन थिएटर अन्य विभागों के ऑपरेशन थिएटर है। एसएनसीयू में केवल एक ही गेट से अग्नि दुर्घटना में बचना मुश्किल होगा, 26 लाख रुपए से फायर एक्जिट का प्रस्ताव कागजों में है। 20 बेड की इस यूनिट में हर समय 25 से 30 शिशु और 15 से 20 स्टाफ रहता है। एक्जिट नहीं है। ऐसे में आग की घटना होने पर यहां से बचना मुश्किल होगा। अभी तक फायर एक्जिट को लेकर कोई काम नहीं हुआ। मुरैना में घटना के बाद फिर अस्पताल प्रबंधन सक्रिय हुआ। पत्र का रिमाइंडर कर इतिश्री कर ली। इससे पहले आठ बार से अधिक पत्र भेजा जा चुका है।
पुराने भवन में दो साल से निर्माण कार्य पूर्ण नहीं
जिला अस्पताल में फायर फिटिंग सिस्टम का कार्य दो साल से पूर्ण नहीं हो सका है। तत्कालीन सिविल सर्जन ने कार्य चालू कराया था। पाइप लाइन बिछाने कार्य पूर्ण कर लिया गया है। अभी तक पूरी तरह से निर्माण कार्य पूर्ण नहीं हो सका है। आग से निपटने के लिए अग्निशमन यंत्र लगाए गए हैं। डॉ रंजीत बडोले, अधीक्षक, मेडिकल कॉलेज अस्पताल…फायर फिटिंग सिस्टम के उपकरण के सुधार के लिए प्रस्ताव पीडब्ल्यूडी को भेजा गया है। उन्होंने एस्टीमेट को दोबारा तैयार भी कर लिया है। निर्माण के लिए पत्र भेजा गया है। तकनीकी एनओसी है। उपकरणों की प्रक्रिया पूरी होते ही फायर एनओसी कॉलेज और अस्पताल की एक साथ मिलेगी।
डॉ अनिरुद्ध कौशल, सिविल सर्जन …जिला अस्पताल में फायर फिटिंग सिस्टम भोपाल से कार्य चल रहा है। विकल्प के रूप में अग्निशमन यंत्र पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं। इसके लिए नर्स समेत अन्य स्टाफ को पंद्रह दिन पहले प्रशिक्षण दिया जा चुका है। एसएनसीयू में फायर एक्जिट के लिए पीडब्लयूडी को पत्र भेजा गया है।