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कटनी

नर्मदा नहर में तीन बच्चियों की डूबने से मौत, गांव में छाया मातम

Three girls died in canal

कटनीMar 10, 2025 / 10:06 pm

balmeek pandey

Three girls died in canal

Three girls died in canal

रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद भी नहीं मिली मासूम बच्ची, परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल, उमरियापान थाना क्षेत्र के परसवारा में नर्मदा नहर में हुई दर्दनाक घटना, चार बच्चियां गई थीं नहर में नहाने, एक को बचाया गया सुरक्षित

कटनी/उमरियापान. कटनी जिले के उमरियापान थाना क्षेत्र के परसवारा गांव में रविवार को नर्मदा नहर में नहाने गईं चार बच्चियां डूब गईं। हादसे में दो बच्चियों की मौत हो गई, जबकि एक बच्ची को सुरक्षित बचा लिया गया है व चौथे की तलाश जारी है। पुलिस और होमगार्ड की टीम चौथी बच्ची की तलाश में जुटी हुई है। जानकारी के अनुसार रविवार सुबह करीब 11 बजे परसवारा गांव की चार बच्चियां बरगी दायीं तट नर्मदा नहर के सीढ़ीनुमा घाट पर नहाने गई थीं। इनमें सिद्धिका पिता कौशल पटेल (12), मानवी पिता कौशल पटेल (8), अंशिका पिता बसंत पटेल (14), अनन्या पिता अजय पटेल (11) नहर में नहाते समय चारों गहरे पानी में चली गईं और डूबने लगीं।
महिला ने देखा हादसा, बुजुर्ग ने कूदकर बचाई एक जान
बच्चियों को डूबता देख नहर किनारे मौजूद एक महिला ने खेत में काम कर रहे दीपचंद दाहिया (64) को बुलाया। उन्होंने तत्काल नहर में छलांग लगाई और अनन्या (11) को सुरक्षित बाहर निकाल लिया। अनन्या ने बताया कि उसकी बाकी बहनें अभी पानी में डूबी हुई हैं। घटना की खबर मिलते ही गांव के लोग मौके पर पहुंचे और पानी में डूबकर बच्चियों की तलाश शुरू की। कुछ देर की मशक्कत के बाद अंशिका (14) और सिद्धिका (12) को बाहर निकाला गया। तत्काल अस्पताल ले जाया गया, लेकिन डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
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मानवी की तलाश में जुटी पुलिस व गोताखोर
चौथी बच्ची मानवी (8) अब भी लापता है। ग्रामीणों ने उसे ढूंढने की कोशिश की, लेकिन वह नहीं मिली। थाना प्रभारी दिनेश तिवारी ने वरिष्ठ अधिकारियों को सूचना दी, जिसके बाद होमगार्ड की टीम मौके पर पहुंची और रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया। पांच घंटे की मशक्कत के बावजूद मानवी का कुछ पता नहीं चला। अब गोताखोरों की टीम को बुलाया गया था, जो रेस्क्यू कर रही थी। इस हादसे से पूरे गांव में मातम छा गया है। बच्चियों के माता-पिता और परिजन गहरे सदमे में हैं। मानवी के सुरक्षित मिलने की उम्मीद में लोग नहर किनारे जुटे हुए हैं। थाना उमरियापान क्षेत्र के परसवारा गांव में रविवार को बरगी दायीं तट नर्मदा नहर में नहाने गई तीन बच्चियां डूब गईं, जिसमें दो की मौत हो गई और एक अब भी लापता है। इस घटना के बाद परिजनों व पूरे गांव में मातम पसर गया है। परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। पुलिस, होमगार्ड और गोताखोरों की टीम ने करीब 6 घंटे तक रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया, लेकिन मासूम बच्ची का अब तक कोई पता नहीं चल पाया है। सोमवार को दोबारा रेस्क्यू अभियान चलाया जाएगा। घटना की सूचना मिलते ही पुलिस व प्रशासन की टीम मौके पर पहुंची। नहर के पानी को कम कराने के निर्देश दिए गए हैं।
ऐसे हुआ हादसा
रविवार सुबह करीब 11 बजे परसवारा गांव की चार बच्चियां नर्मदा नहर के सीढ़ीनुमा घाट पर नहाने गई थीं। इसमें सिद्धिका पिता कौशल पटेल (12), मानवी पिता कौशल पटेल (8), अंशिका पिता बसंत पटेल (14), अनन्या पिता अजय पटेल (11) जो सुरक्षित बची हैं। नहर गहरी होने के कारण चारों बच्चियां एक-एक करके डूबने लगीं। करीब 11.30 बजे गांव की संगीता दाहिया वहां पहुंचीं और बच्चियों को डूबते देखा। उन्होंने खेत में काम कर रहे चाचा दीपचंद दाहिया को शोर मचाकर बुलाया। दीपचंद दाहिया ने तत्काल अनन्या को बचा लिया। इसके बाद ग्रामीणों ने मिलकर अंशिका और सिद्धिका को बाहर निकाला, लेकिन अस्पताल पहुंचने पर डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
narmada nahar
दोपहर 1 बजे पहुंची रेस्क्यू टीम
घटना की सूचना मिलते ही दोपहर 1 बजे रेस्क्यू टीम पहुंची, लेकिन मानवी (8) का कोई पता नहीं चल सका। थाना प्रभारी दिनेश तिवारी ने बताया कि घटना के तुरंत बाद पुलिस मौके पर पहुंची और शवों को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा गया। परिजनों को सांत्वना दी गई है। बच्ची की तलाश के लिए सोमवार को रेस्क्यू ऑपरेशन दोबारा शुरू होगा।
घटनास्थल पहुंचे विधायक, परिजनों को आर्थिक मदद
घटना की जानकारी मिलते ही क्षेत्रीय विधायक धीरेंद्र बहादुर सिंह मौके पर पहुंचे। उन्होंने नहर अधिकारियों से बात कर जल्द से जल्द पानी खाली कराने के निर्देश दिए। विधायक ने पीडि़त परिवारों को आर्थिक मदद दी और शासन स्तर पर भी सहायता दिलाने का आश्वासन दिया। ग्राम पंचायत हरदी ने भी परिवारों को आर्थिक सहयोग दिया।
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बिन बेटी का हुआ परिवार, घर में पसरा सन्नाटा
सिद्धिका (7वीं) और मानवी (3वीं) उमरियापान के सरकारी स्कूल में पढ़ती थीं। उनके पिता कौशल पटेल पुणे में काम करते हैं, जबकि मां रीना पटेल खेत गई हुई थीं। चार साल का छोटा भाई नैतिक अब अकेला रह गया है। अंशिका (9वीं) के पिता बसंत पटेल सिहोरा में मजदूरी करते हैं, जबकि मां उमा बाई पटेल पन्ना जिले में रिश्तेदारी में गई थीं।
सुरक्षित बची अनन्या (6वीं) भी सदमे में है।
गांव में सनाका
इस हादसे के बाद गांव में गमगीन माहौल है। पूरे गांव में मातम पसरा हुआ है और परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग की है कि इस तरह की घटनाएं दोबारा न हों, इसके लिए नहर किनारे सुरक्षा उपाय किए जाएं। वहीं दूसरी ओर अभिभावक भी सावधानी रखें। छाटे बच्चों अकेले नदी, तालाब व नहर न जाने दें।
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20 घण्टे बाद नहर से निकाला मासूम बच्ची का शव, एक साथ हुआ अंतिम संस्कार
सोमवार सुबह 7 बजे गांव के ग्रामीणों ने नहर में घुसकर बच्ची को खोज निकाला। दो बेटियों के पिता के पुणे से वापस लौटने के बाद दोपहर करीब डेढ़ बजे गमगीन माहौल में अंतिम संस्कार किया गया। तीन बच्चियों के एक साथ मिट्टी संस्कार होने से पूरा गांव स्तब्ध रहा। शव परीक्षण के बाद दोनों बच्चियों के शव को रात के समय घर में फ्रीजर में सुरक्षित रखा गया। वहीं रात भर गांव के लोग घटना स्थल के समीप बने रहे। थाना प्रभारी दिनेश तिवारी ने बताया कि सोमवार सुबह ग्रामीणों की मदद से मानवी पटेल (8) का शव नहर से निकाला गया। बच्ची नहर के पानी में नीचे चोई घास में थी। नहर का पानी कम कराया गया था,जिससे दूसरे दिन बच्ची को जल्दी निकाला गया। शव परीक्षण के बाद बच्ची को परिजनों के हवाले किया। दरअसल रविवार सुबह करीब 11बजे परसवारा गांव की दो सगी बहनें सिद्धिका पटेल (12)और मानवी पटेल (8) व अंशिका पटेल (14)और अनन्या पटेल (11) नर्मदा नहर के सीढ़ीनुमा घाट नहाने गई थीं। एक एक करके चारों बच्चियां नहर में डूब गई। ग्रामीणों ने तीन बच्चियों को नहर से निकाला। जिसमें अनन्या बिल्कुल सुरक्षित है। जबकि अंशिका और सिद्धिका की सांसें थम गई। पुलिस ने होमगार्ड और गोताखोर टीम के साथ 6 घंटे तक रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया लेकिन रविवार को चौथी बच्ची मानवी नहीं मिली थी।
बिन बेटियों के रह गया दोनों भाइयों का परिवार
पुणे से काम कर लौटे कौशल पटेल की दो बेटियां सिद्धिका और मानवी थी, जबकि चचेरे भाई बसंत पटेल की भी एक बेटी अंशिका थीं। अचानक हुई भयावह घटना के बाद चचेरे दोंनो भाइयों का परिवार बिन बेटियों का रह गया। घटना के दूसरे दिन भी परिजनों और नाते रिश्तेदारों का रो-रोकर बुरा हाल रहा।

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