विधानसभा में विधायक ने कहा कि मैंने खुद परिषद में प्रस्ताव पास कराया है, इसमें दो कागज लगे हैं। इसमें कागज लगे हैं। एक में एसडीएम कह रहे हैं कि 9 करोड़ रुपए मुआवजा है, एक में दो करोड़ का मुआवजा है। उसमें मेरा नाम लिखा गया है। पहले मैंने कहा कि मेरी जमीन नहीं है, तो मेरे भाई का नाम लिख दिया गया। मैंने कहा कि उनकी भी जमीन नहीं है। इस तरह की विसंगतिपूर्ण कार्रवाहियां करके खुद चौड़ीकरण में बाधा बने हैं। ननि के अधिकारियों इस तरह का जवाब यह साबित करता है कि चौड़ीकरण के नाम पर यह लोगों को बार-बार गुमराह रहे हैं। जो हाइकोर्ट में गए हैं वे मुआवजा मांग रहे हैं। उनके सामने रोड नहीं बनाने देना चाहते।
विधानसभा में विधायक के सवाल जवाब के दौरान नगरीय विकास एवं आवास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि ननि के बारे में आपको सब जानकारी है, आप स्वयं मेयर रहे हैं। निश्चित रूप से थोड़ा विलंब जरूर हुआ है। मैने अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस दिया है, और जो ये चाहते हैं जितनी ओपन सडक़ें हैं वह नवरात्रि के पहले पूरी कंपलीट की जाएगी।
सडक़ को लेकर खास-खास बातें
- 900 मीटर की सडक़ में दोनों ओर 135 लोग करते हैं निवास, जिनका हुआ है सर्वे।
- 92 लोग इस सडक़ के चौड़ीकरण में हो रहे हैं प्रभावित, ली जा रही है इनकी जमीन।
- 50 लोगों द्वारा खुद से निर्माण हटा लिए जाने का ननि के अधिकारी कर रहे दावा।
- 20 लोगों के अतिक्रमण व निर्माण को नगर निगम ने हटाने की दी जानकारी।
- 22 लोगों के न्यायालय में गए थे प्रकरण, 6 अभी भी है कोर्ट में हैं विचाराधीन।
- 16 लोगों के प्रकरणों में न्यायालय ने मुआवजा/क्षतिपूर्ति देने के दिए हैं आदेश।
- 3 प्रकरणों में न्यायालय से मिला है स्थगन आदेश, इसलिए रुका वहां पर काम।
- धारा 305, 306 के तहत नगर निगम को है क्षतिपूर्ति राशि देने का प्रावधान।
- 3.32 करोड़ रुपए पंजीयक के यहां से निर्धारित की गई है क्षतिपूर्ति राशि।
- 03 तीन केवियेट नगर निगम के तरफ से लगी हैं न्यायालय में।
- बाजार मूल्य नहीं बल्कि कलेक्टर गाइड लाइन के अनुसार देना है क्षतिपूर्ति।
शहर की गंभीर समस्या पर विधायक संदीप जायसवाल ने विधानसभा में 1720 नंबर के तारांकित प्रश्न में नगर निगम घिरती नजर आई। विधायक ने कहा कि सडक़ निर्माण को लेकर 3 वर्षों में नागरिक संगठनों द्वारा धरना, प्रदर्शन, चक्काजाम, के क्या-क्या आंदोलन कब-कब किए गए? किस सक्षम प्राधिकारी द्वारा ग्रीन कॉरिडोर सहित क्या-क्या आश्वासन देकर आंदोलन को कब-कब समाप्त कराया गया। आश्वासन पूर्ण हुए कि नहीं, यदि नहीं तो क्यों? क्या सडक़ चौड़ीकरण हाइकोर्ट के आदेश पर कराया जा रहा है? हां तो आदेश व ननि के जवाब की जानकारी मांगी। किस सक्षम स्वीकृति से सडक़ निर्माण की कार्रवाई स्वीकृत की गई? सडक़ चौड़ीकरण में क्षतिपूर्ति/मुआवजा राशि की गणना मूल्यांकन कितनी बार की गई? आंकलन जिला पंजीयक से कराया गया? उसका विवरण, हाइकोर्ट से पारित आदेश की प्रति, न्यायालय के आदेश में पालन की गई कार्रवाई की जानकारी मांगी।
मंत्री ने दिए सवालों के जवाब
विधानसभा में मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने हर प्रश्न के जवाब दिए। निविदा प्राप्त होने पर नियमानुसार सक्षम स्वीकृति उपरांत ठेकेदार से अनुबंध निष्पादन का कार्य कराया जाएगा। कार्रवाई प्रचलन में है। ननि द्वारा हाइकोर्ट में अतिरिक्त जवाब दावा 10 फरवरी 23 अनुसार कार्रवाई प्रचलन में है। अनुविभागीय अधिकारी द्वारा 3 बार आंकलन कर पत्र प्रस्तुत किया गया है। विसंगतियां होने से पुन: 29 जनवरी 25 को क्षतिपूर्ति मूल्यांकन के लिए कलेक्टर को पत्र प्रेषित किया गया। क्षतिपूर्ति मुआवजा राशि का आंकलन जिला पंजीयक कार्यालय में नहीं कराया गया। एसडीएम द्वारा 28 फरवरी को जिला पंजीयक को पत्र भेजा गया, जिसकी कार्रवाई प्रचलन में है।
- विधायक के ध्यानाकर्षण में नगर निगम ने कहा था कि सडक़ को लेकर नहीं है कोई जन आक्रोश।
- बारिश से पहले सडक़ के निर्माण की रखी गई बात, ताकि बस्ती में न बने जल भराव की स्थिति।
- प्रश्र में कहा गया कि यह वह क्षेत्र है जहां पर स्थित स्कूल में रुकेथे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी।
- इस मार्ग में शहर का प्रमुख शक्तिपीठ जालपा मढिय़ा सहित स्थित हैं कई अस्पताल व अन्य धार्मिक स्थल।
- मंत्री ने कहा कि कुछ प्रकरणों में हाइकोर्ट से आ गया है स्टे, इसलिए नहीं हो पाया चौड़ीकरण।
- विधानसभा में कहा गया कि सडक़ का काम चालू है, फोटो भी मंगाई गई हैं, कार्य अतिशीघ्र होगा पूर्ण।