ब्यूरो के निदेशक व प्रमुख कनिका कालिया ने बताया कि बासनी औद्योगिक क्षेत्र में मैसर्स मेहता मेटल इण्डस्ट्रीज और मैसर्स नाकोड़ा स्टील नामक स्टील्स की फैक्ट्रियों में मानक ब्यूरो के नियमों का उल्लंघन होने की सूचना मिली। तस्दीक के बाद दो टीमों ने इन दोनों फैक्ट्रियों में दबिश दी, जहां भारी मात्रा में बिना आइएसआइ मार्क वाली स्टील्स की शीट्स व स्ट्रिप्स मिलीं। इनसे बर्तनों का उत्पादन किया जा रहा था।जोकि मानक ब्यूरो के कानूनों का उल्लंघन है।
यह है कानून, हो सकती है सजा…
भारत सरकार की स्टेनलेस स्टील की शीट्स व स्ट्रिप्स की ओर से जारी इस्पात व इसके उत्पाद (गुणवत्ता नियंत्रण आदेश 2024) और बर्तन, खाद्य और पेय पदार्थों के लिए कूकवेयर, यूटेंसिल्स और कैंस (गुणवत्ता नियंत्रण आदेश 2024) के तहत अनिवार्य प्रमाणन पद्धति के अंतर्गत आते हैं। भारतीय मानक ब्यूरो के वैध प्रमाणन लाइसेंस के बिना इन उत्पादों का निर्माण, विक्रय, संग्रहण, आयात आदि भारतीय मानक ब्यूरो अधिनियम 2016 के तहत दण्डनीय व संज्ञेय अपराध है। इसका प्रथम बार उल्लंघन करने पर न्यूनतम दो लाख रुपए, द्वितीय या उसके बाद के उल्लंघनों के लिए न्यूनतम पांच लाख रुपए जुर्माना (जो कि उल्लंघित वस्तुओं के मूल्य के दस गुणा तक हो सकता है) या अधिकतम दो साल की कारावास या दोनों हैं।