कोरोना काल में सेवाएं देने वाले राजस्थान के नर्सिंग छात्र-छात्राओं को बड़ा झटका, यहां जानें पूरा मामला
न्यायाधीश अरुण मोंगा की एकल पीठ ने स्पष्ट किया कि कोविड काल के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से दी गई सेवाएं उनके प्रशिक्षण पाठ्यक्रम का हिस्सा थी, इसलिए उन्हें स्वास्थ्यकर्मी के रूप में सेवा देने वाला कर्मचारी नहीं माना जा सकता।
राजस्थान हाईकोर्ट ने कोविड काल में सेवाएं देने वाले नर्सिंग छात्र-छात्राओं को बोनस अंक देने से इनकार करते हुए उनकी याचिका खारिज कर दी है। कोर्ट ने कहा कि जीएनएम डिप्लोमा की पढ़ाई के दौरान की गई इंटर्नशिप को नियोजन नहीं माना जा सकता। इसलिए याचिकाकर्ता उस आधार पर बोनस अंक पाने की हकदार नहीं हैं।
न्यायाधीश अरुण मोंगा की एकल पीठ ने स्पष्ट किया कि कोविड काल के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से दी गई सेवाएं उनके प्रशिक्षण पाठ्यक्रम का हिस्सा थी, इसलिए उन्हें स्वास्थ्यकर्मी के रूप में सेवा देने वाला कर्मचारी नहीं माना जा सकता। कोर्ट ने कहा कि जब इंटर्नशिप डिप्लोमा के लिए अनिवार्य है, तो उसे शिक्षा का ही हिस्सा माना जाएगा, न कि व्यावसायिक अनुभव कहा जाएगा। याचिका में मांग की गई थी कि कोविड हेल्थ असिस्टेंट की तरह उन्हें भी बोनस अंक दिए जाएं, ताकि 5 मई, 2023 की विज्ञप्ति के तहत नर्सिंग अधिकारी पद पर नियुक्ति मिल सके।
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सरकार ने दिया जवाब
सरकार की ओर से कहा गया कि 25 अप्रेल, 2023 की अधिसूचना के अनुसार केवल उन्हीं को बोनस अंक मिल सकते हैं जो कोविड अवधि में नियमित, संविदा या अस्थायी आधार पर कार्यरत थे। याचिकाकर्ता ‘कार्मिक’ की परिभाषा में नहीं आते, इसलिए उन्हें बोनस अंक देने की मांग उचित नहीं।