गजेंद्र सिंह दहिया पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के बहावलपुर निवासी शंकर गोयल पढ़ाई में अव्वल हैं। उन्होंने रहीमयार खान मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस किया। वे एमबीबीएस डिग्री लेने वाले अपने क्षेत्र से पहले हिंदू हैं। वहां परिस्थितियां अनुकूल नहीं होने से पूरा परिवार 26 जनवरी 2023 को जोधपुर आ गया। यहां आते ही उन्होंने लॉन्ग टर्म वीजा के लिए आवेदन किया। राज्य सरकार से पूरी फॉर्मेलिटी करने के बावजूद दो साल बाद भी वीजा नहीं मिल पाया।
नीट पीजी पास करने के बाद जयपुर में महात्मा गांधी मेडिकल कॉलेज में फार्मेकोलॉजी विषय में सीट मिल गई, लेकिन काउंसलिंग के समय वीजा नहीं होने से मेहनत से पाई सीट हाथ से निकल गई। विदेशी छात्र सीट के लिए जमा कराए 5 लाख रुपए की सिक्योरिटी राशि भी अटकी हुई है। यही हाल पाकिस्तान से परिवार के साथ आए अन्य छात्र छात्राओं का है। वीजा मिलने में हो रही देरी के कारण उन्हें आगे की पढ़ाई से वंचित होना पड़ रहा है।
बेहतर भविष्य के लिए भारत आए
शंकर ने बताया कि वे अपने माता-पिता, दादा और बहन के साथ बेहतर भविष्य की तलाश में भारत आए, लेकिन यहां समय पर वीजा नहीं मिला। बगैर वीजा के मेडिकल काउंसिल में डॉक्टरी प्रेक्टिस के लिए रजिस्ट्रेशन नहीं मिल सकता। दो साल से घर बैठे हैं। न पढ़ाई कर सकते हैं और न ही रोजगार के लिए कुछ कर सकते हैं। बहन की पढ़ाई भी अटकी हुई है।
कई परिवारों के अटके वीजा आवेदन
वीजा नहीं मिलने पर पाकिस्तान से आए परिवारों के कई काम अटक गए हैं। वे बैंक खाता नहीं खुलवा सकते, जिसके कारण फाइनेंशियल इनक्यूजन से वंचित है। आधार कार्ड, राशन कार्ड, गैस कनेक्शन के लिए आवेदन नहीं कर सकते। बीते दो साल से केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कइयों के वीजा आवेदन रोक रखे हैं।
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इनका कहना है
मैंने मेडिकल कॉलेज में फॉरेनर्स रजिस्ट्रेशन ऑफिस में आवेदन और वीजा आवेदन की कॉपी भी दिखाई, लेकिन वे नहीं माने। मैंने सोचा जब तक भारतीय नागरिकता नहीं मिलती है, तब तक खाली बैठने से अच्छा है कि तीन साल की पीजी कर लूं। वीजा नहीं मिलने से यह सीट भी हाथ से गई। पाकिस्तान में हमें इंडियन समझते हैं और यहां पाकिस्तानी। अगर भारत आने के स्थान पर यूके सहित अन्य देश गए होते तो कब की पढ़ाई चालू हो जाती।