जैसलमेर में मेहमानों होली: तीन दशक पुराना नाता
विदेशी सैलानियों का जैसलमेर की होली से यह नाता नया नहीं है। तीन दशक पहले जब पहली बार कुछ यूरोपियन सैलानियों ने जैसलमेर में होली का अनुभव लिया, तब से यह सिलसिला हर साल बढ़ता ही गया। अब तो होली से पहले ही विदेशी समूहों के समूह जैसलमेर की गलियों में रंगों की आहट महसूस करने आ पहुंचते हैं।रंगों में रच-बस जाते हैं विदेशी सैलानी
आगामी 13 व 14 मार्च को जब स्वर्णनगरी के आसमान में गुलाल के बादल उमड़ेंगे, तब गोपा चौक, सोनार दुर्ग, पटवा हवेलियों और संकरी गलियों में विदेशी सैलानियों की टोलियां झूमती नजर आएंगी। उनके हाथों में पिचकारियां होंगी, चेहरों पर हंसी होगी और आंखों में भारतीय संस्कृति को जीने का उत्साह। बच्चों के साथ रंगों की मस्ती में रमना, स्थानीय लोगों के साथ गुलाल उड़ाना और चंग-ढोल की थाप पर नाचना—यह सब उनके लिए किसी स्वप्नलोक से कम नहीं होता।यूरोपियनों में जैसलमेर की होली का क्रेज
फ्रांस, इटली, जर्मनी, स्पेन, इंग्लैंड, बेल्जियम, ऑस्ट्रिया जैसे यूरोपियन देशों के नागरिकों में जैसलमेर की होली को लेकर खासा क्रेज देखने को मिलता है। दुनिया भर में रंगों से जुड़े कई त्योहार हैं—स्पेन का टोमाटीना, रोम का रेडिका, ऑस्ट्रेलिया का वाटरमेलन फेस्टिवल, इटली का ऑरेंज बैटल—लेकिन भारतीय होली जैसी रंगीन और हृदय से जुडऩे वाली अनुभूति उन्हें कहीं और नहीं मिलती।पर्यटन को लगेंगे नए पंख
पर्यटन से जुड़े जानकारी बताते हैं कि 3 हजार से अधिक देशी-विदेशी पर्यटकों के आगमन से जैसलमेर में पर्यटन को भी नया बल मिल सकेगा । होटल, गाइड, कैफे, लोक कलाकारों और पर्यटन उद्योग से जुड़े लोगों को इससे आर्थिक संजीवनी मिलेगी। हर साल यह संख्या बढ़ती जा रही है, जो यह दर्शाता है कि जैसलमेर की होली अब वैश्विक पर्यटन मानचित्र पर अपनी विशेष पहचान बना चुकी है।विदेशी सैलानियों की जुबानी होली का अनुभव
जैसलमेर में होली का अनुभव अविस्मरणीय है। रंगों में डूबकर हर भेदभाव मिट जाता है, और सिर्फ खुशियां बचती हैं। — सिल्विया, इटलीहोली मस्ती और उमंग का पर्व है। एक बार जैसलमेर में मनाई थी, इस बार बनारस जाने की योजना बना रहे हैं।
— वाल्टर हैंमंड, फ्रांस