झांकियों में जीवंत हुईं महावीर की लीलाएं
जुलूस में निकली विविध झांकियां भगवान महावीर के जीवन प्रसंगों की जीवंत प्रस्तुति बनकर उभरीं। इनमें माता त्रिशला के 14 स्वप्न, जन्म अभिषेक, साधना काल के उपसर्ग, गोचरी ग्रहण करती साध्वियां और माता सरस्वती की झांकियां विशेष आकर्षण का केंद्र रहीं। प्रवक्ता पवन कोठारी ने बताया कि भगवान महावीर का जन्म चैत्र सुदी त्रयोदशी की मध्यरात्रि में महाराज सिद्धार्थ और रानी त्रिशला के घर कुंडलपुर नगर में हुआ था। बाल्यकाल में उनका नाम वद्र्धमान था। तीस वर्ष की आयु में उन्होंने दीक्षा लेकर साढ़े बारह वर्ष की घोर तपस्या की, जिसके बाद उन्हें कैवल्य ज्ञान प्राप्त हुआ।
समवशरण से मोक्ष तक
जैन शास्त्रों के अनुसार भगवान महावीर ने वैशाख सुदी एकादशी को चतुर्विध संघ की स्थापना की तथा गौतम आदि 11 गणधर नियुक्त किए। कार्तिक अमावस्या की मध्यरात्रि को देशना देकर उन्होंने मोक्ष प्राप्त किया। कार्यक्रम के अंत में जैन सभा के क्षेत्रीय अध्यक्ष महेंद्र भाई बाफना ने सभी संस्थाओं एवं श्रद्धालुओं का आभार व्यक्त किया। उन्होंने आयोजन को सफल बनाने में सहयोग देने वाले जैन ट्रस्ट, जिन कुशल युवा मंडल, महिला मंडलों और समिति सदस्यों की सराहना की।