scriptWorld Hearing Day : बहरेपन का बढ़ता खतरा, SMS अस्पताल में जांच के लिए तीन महीने की है वेटिंग, सालाना 18 हजार से ज्यादा आ रहे नए मरीज | world hearing dayIncreasing risk of deafness in Rajasthan: More than 1500 new patients are coming to SMS every month, waiting period for examination is three months | Patrika News
जयपुर

World Hearing Day : बहरेपन का बढ़ता खतरा, SMS अस्पताल में जांच के लिए तीन महीने की है वेटिंग, सालाना 18 हजार से ज्यादा आ रहे नए मरीज

राजस्थान में बहरेपन के मामले तेजी से बढ़ते जा रहे है।

जयपुरMar 03, 2025 / 12:37 pm

Manish Chaturvedi

जयपुर। राजस्थान में बहरेपन के मामले तेजी से बढ़ते जा रहे है। दुनियाभर में आज विश्व श्रवण दिवस मनाया जा रहा है। ताकी लोगों को बहरेपन की परेशानी से निजात दिलाया जा सके और इसे लेकर जागरूक किया जाए। लेकिन राजस्थान में ऐसा नहीं है। यहां पर हर साल बड़ी संख्या में बहरों की संख्या बढ़ती जा रही है। लेकिन सुनने वाला कोई नहीं है।
हालात यह है कि एसएमएस अस्पताल में ईएनटी विभाग में हर दिन करीब 500 से ज्यादा लोग जांच कराने के लिए आते है। इनमें से करीब 50 से ज्यादा लोग बहरेपन के शिकार मिलते है। इनमें से करीब दो बच्चे हर दिन बहरेपन का शिकार होते है। ऐसे में कहा जा सकता है कि सिर्फ एसएमएस अस्पताल में हर महीने 1500 से ज्यादा नए बहरेपन के मरीज मिलते है। इनमें से 50 से ज्यादा बच्चे बहरे होते है। यानी की हर साल 18 हजार से ज्यादा बहरेपन के मरीज तो सिर्फ एसएमएस अस्पताल में ही मिल रहे है। वहीं 1500 से ज्यादा बच्चे बहरेपन की बीमारी का शिकार हो रहे है।
एसएमएस मेडिकल कॉलेज के ईएनटी विभाग के सीनियर प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष डॉ.पवन सिंघल ने बताया कि बहरेपन की बीमारी तो बढ़ती जा रही है। लेकिन इलाज को लेकर उपाय नहीं बढ़े है। हमारे पास तीन महीने तक की मरीजों की वेटिंग चलती है। मरीजों को तीन महीने तक जांच कराने के लिए इंतजार करना पड़ता है। हमारे पास बेरा की दो मशीन, ओएई जांच की एक मशीन है। लेकिन यह कम है। इसके साथ ही पांच ऑडियोलॉजिस्ट है। यह भी कॉन्टेक्ट बेस पर है। इनमें से भी दो जनों का कॉन्टेक्ट खत्म हो चुका है। हमें कम से कम सात से दस ऑडियोलॉजिस्ट चाहिए। कई बार सरकार स्तर पर और चिकित्सा विभाग को इस संबंध में पत्र लिखे जा चुके है। लेकिन अब तक कोई समाधान नहीं हुआ है।
बच्चों में बढ़ रहा खतरा, जिलों में मशीनें ही नहीं…

डॉ सिंघल ने बताया कि नवजात बच्चों में बहरेपन के मामले सामने आ रहे है। जिसकी जांच के लिए ओएई मशीन होती है। जिसका 013 और 036 फोर्मूला होता है। सभी जिलों में अगर यह मशीन हो तो बच्चों की ऑटो अकोस्टिक एमिशन जांच अनिवार्य हो जाए। जिससे बच्चे बहरेपन की बीमारी से समय पर निजात पा सके। इस मशीन से स्क्रिनिंग प्रोसेस होने के बाद मालुम चल जाता है कि बच्चा सुनने योग्य है या नहीं।
कई जगह मशीन है, लेकिन चलाने वाले ऑडियोलॉजिस्ट नहीं…

ऐसा नहीं है कि प्रदेश में किसी जिले में ये मशीन नहीं है। जयपुर में एसएमएस में यह मशीन है। इसके बाद जोधपुर, बीकानेर, उदयपुर में मशीनें चल रहीं है। अजमेर और कोटा में मशीन तो है, लेकिन चलाने वाले ऑडियोलॉजिस्ट नहीं है। ऐसे में बहरेपन के शिकार मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। जयपुर में जयपुरिया, जनाना, गणगौरी, सेटेलाइट, सांगानेरी गेट महिला चिकित्सालय, जेके लोन में भी जांच के लिए मशीने नहीं है। ऐसे में बहरेपन के मरीजों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

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