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जयपुर

आज के परिवेश में परम्परागत निवेश नहीं होगा कारगर

अगर कोरोना काल को ही ले लिया जाए, तो इन दो सालों की काली अवधि के दौरान कई लोगों को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा, कारोबार बन्द हो गए और जिन लोगों की जॉब नहीं भी गई है तो वित्तीय तौर पर काफी परेशानी में पड़ गए।

जयपुरOct 13, 2022 / 02:05 pm

Narendra Singh Solanki

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अगर कोरोना काल को ही ले लिया जाए, तो इन दो सालों की काली अवधि के दौरान कई लोगों को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा, कारोबार बन्द हो गए और जिन लोगों की जॉब नहीं भी गई है तो वित्तीय तौर पर काफी परेशानी में पड़ गए। आज भी देश में पचास प्रतिशत लोग निवेश के पारंपरिक तरीके जैसे कि बैंक डिपॉजिट, गोल्ड या फिर प्रॉपर्टी में निवेश कर रहे हैं, जबकि आज के परिवेश में इस प्रकार के निवेश उतने कारगर नहीं हैं इसके लिए स्टॉक, करंसी, म्युच्युअल फण्ड, फॉरेक्स एसआईपी में निवेश करना उचित रहता है। यह काफी अच्छे तरीके हैं और इनमें निवेश का पारंपरिक तरीकों से काफी अच्छा रिटर्न मिल रहा है।
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निवेश से पहले आर्थिक गतिविधियों पर रखे नजर

पिछले दस साल के इतिहास को देखा जाए तो इस प्रकार के निवेशों ने आठ से दस गुणा अधिक रिटर्न दिया है। स्टॉक में निवेश से पूर्व आपको सिर्फ यह देखना होता है कि अपने आसपास हो रही आर्थिक गतिविधियों पर नजर रखे और अपने आंख और कान खुले रखें। देखे कि लोग क्या खरीद रहे हैं, क्या बेच रहे हैं। किस तरह के उत्पाद की मांग ज्यादा है। आपके पड़ोस मे लोग किन उत्पादों के बारे में बातचीत कर रहे हैं। इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ग्लोबल फायनेंशियल मार्केट (आईआईजीएफएम) ने लोगों को फायन शियल सपोर्ट देने के लिए कार्यशालाओं का आयोजन कर रही है। इस प्रकार की वर्कशॉप निवेशकों को पारम्परिक तरीकों के अलावा निवेश के कौन कौन से तरीके हैं, जिनके माध्यम से निवेश के बेहतर नतीजे लिए जा सकते हैं। यह जानकारी आईआईजीएफएम के प्रवक्ता एलेन मैचू ने निवेशकों को दी। आईआईजीएफएम के सोमबीर मोतिया का कहना है कि निवेश के दौरान किस प्रकार की सतर्कता बरती जाए, किन बातों का ध्यान रखा जाए इसके लिए निवेश की शुरुआत करने से पहले यह देखें कि आप उसमें कितनी गहराई तक जा सकते हैं। यह हमेशा सुरक्षित रहता है कि आप छोटी शुरुआत करें और सफर के साथ चलें। अपनी ‘जोखिम को सहने का स्तर बेहद बारीकी से देखें और तय करें कि आप कहां पैसा लगाना चाहते है। आपके सपने दिल से आते हैं, लेकिन यह कदम पूरी तरह दिमाग से तय होता है।

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