जयपुर। राजधानी जयपुर में 14वीं मंजिल से कूदकर खुदकुशी करने वाले कारपेंटर ठेकेदार भारत कुमार सैनी का सुसाइड नोट सामने आया है। जिसे पढ़कर हर किसी का दिल पसीज गया। गोविंदपुरा स्थित बालाजी विहार निवासी भारत ने सुसाइड नोट लिखा कि बकाया रुपए नहीं मिले तो तुरंत ही आत्महत्या करने की इच्छा हुई लेकिन एक बार जीभर बीवी-बच्चों और मां-बाप को देखना चाहता था।
बता दें कि भारत ने एक दिन पहले सुसाइड नोट लिखा और फिर घर चला गया। इसके बाद अगले दिन यानी शुक्रवार को ठेकेदार भारत कुमार ने सिरसी के रॉयल ग्रीन अपार्टमेंट की 14वीं मंजिल से कूदकर खुदकुशी कर ली थी।
सुसाइड नोट में यह लिखा
मैं भारत कुमार सैनी मैं आज आरएएस (हालांकि सुसाइड नोट में आरएस लिखा है) मुक्ता राव जी के घर गया था, वहां सामने कैमरे में पूरी रिकॉर्डिंग आई होगी। 14 अप्रेल 2025 को घर का मुर्हूत भी हो गया। मैं ठीक तीन दिन बाद अपने हिसाब को और एक्स्ट्रा काम को लेकर बात छेड़ी थी, मेरे वेंडर लोग पैसे मांग रहे हैं। आपका काम भी हो गया और मुहूर्त भी हो गया। कुछ काम बचा हो तो मैं कर दूंगा। मैं अपने वेंडरों और दुकानदार से रोज यह कह कहकर टाल रहा हूं कि मेरा हिसाब नहीं हुआ है और रोज जिल्लत भरे दिन निकाल रहा हूं। फिर मैंने निवेदन भी किया कि मेरा हिसाब कर दो, मेरे पास जहर खाने के लिए पैसे भी नहीं है। पूरे रॉयल ग्रीन सोसाइटी में मेरी बेइज्जती करने को वेंडर-दुकानदार तैयार खड़े हैं। मैंने मुक्ता राव जी के विश्वास पर 1200 वर्ग फीट वाला काम तय हुआ था, उस काम को 2000-2200 वाला कर दिया।
सिर्फ मैडम जी की जुबान पे कि आप काम करो, इसका पैसा मैं दूंगी। बस, इसी बात पर भरोसा किया। मार्केट से पैसा लिया, वाइफ के जेवर मुथुट पर गिरवी रखे और अच्छे दिल से काम को पूरा किया। यही उम्मीद से कि मुझे अपना पैसा मिल जाएगा, पर आज मेरी उम्मीद टूट गई है। अब मुझे मजबूर होकर गलत कदम उठाना पड़ रहा है। मुझे ये भी पता है कि मेरे मरने के बाद भी मुझे पैसा नहीं मिलेगा और न कोई हर्जाना। मैंने अपना घर बर्बाद करके इनका घर तो बना दिया। आज मैंने 39.60 लाख रुपए का काम कर दिया। जिसमें मुझे 21 लाख रुपए मिले।
बाकी का मुझे कोई पैसा नहीं दिया। आरएएस मुक्ता राव जी और उनके पति ढाका जी ने बस इतना कहकर मुझे रवाना कर दिया कि 50 या एक लाख ज्यादा से ज्यादा निकलेगा आपका। यह सुनते ही मैं वहां से चला आया और अब मेरे पास सुसाइड के अलावा कोई रास्ता नहीं है। मैं अभी ही छत से कूदना चाहता था, पर सुबह से बीवी-बच्चों को नहीं देखा था, बुजुर्ग मां-बाप से मिला नहीं। इसलिए घर आया हूं। जी भरकर आखिरी बार मिल लूं। इनको तो यह भी नहीं पता कि सुबह मैं नहीं रहूंगा।
भारत ने सुसाइड नोट पर हस्ताक्षर किए और आरएस मुक्ता राव जी और विजय ढाका जी के मोबाइन नंबर भी लिखे हैं)