यहां रहने वाले कैदियों ने बताया कि स्टाफ की कमी के कारण सुबह 6 और शाम 7 बजे होने वाली हाजिरी में ढाई से 3 घंटे का समय लग जाता है। पत्रिका संवाददाता ने जेल का दौरा किया तो मुख्य द्वार से लेकर अंदर तक कोई जेलकर्मी नजर नहीं आया। पूछने पर कैदियों ने बताया कि सभी जेलकर्मी यहां मौजूद चौकी में बैठते हैं।
छह माह पहले कैदी ने खुद को गोली मारी करीब 6 माह पूर्व यहां एक कैदी अंकुर पाडिया ने देसी कट्टे से खुद को गोली मार ली थी। आत्महत्या की घटना के बाद भी जेल में सुरक्षा व्यवस्था को लेकर विभाग गंभीर नजर नहीं आया। जबकि जेल परिसर में अवैध हथियार मिलना ही सुरक्षा व्यवस्था में बड़ी चूक थी।
ये हालात चिंताजनक यहां एक उपकारापाल के पास जेल का चार्ज है। इसके अलावा एक हैड वार्डर और 6 प्रहरी का स्टाफ है। उपकारापाल के पास दुर्गापुरा खुली जेल का चार्ज भी है। उपकारापाल के अलावा अन्य कोई पद यहां स्वीकृत नहीं है। केवल व्यवस्था के लिए कई साल से केंद्रीय कारागार जयपुर का स्टाफ यहां लगाया जा रहा है। यह खुली जेल करीब 70 साल पुरानी है। यहां 420 कैदियों को रखने की क्षमता है। सुबह हाजिरी देकर दिनभर के लिए कैदी अपने काम-धंधे के लिए निकल जाते हैं।
खुली जेल में 6 लोगों का स्टाफ है। यहां पद सृजित करने का काम सरकार के स्तर का है। राकेश मोहन शर्मा, जेल अधीक्षक