बीजेपी नेता राजेंद्र राठौड़ ने एक्स पर लिखा कि गहलोत के पूर्व ओएसडी ने तत्कालीन सरकार के मुखिया पर फोन टैपिंग के जो आरोप लगाए हैं उससे मारवाड़ के छद्म गांधी के चेहरे से नकाब उतर गया है। यह राजस्थान की राजनीति के इतिहास में पहली घटना थी, जब किसी सरकार के मुखिया ने अपनी कुर्सी बचाने के खातिर सारे नियमों को ताक पर रखकर अवैधानिक ढंग से जनप्रतिनिधियों के फोन टैप करवाए थे।
संविधान की दुहाई की देने वाले गहलोत की खुल गई पोल!
उन्होंने कहा कि हमने फोन टैपिंग का मुद्दा सदन में पुरजोर तरीके से उठाया था, उस पर अब गहलोत के ही पूर्व ओएसडी ने मुहर भी लगा दी है। संविधान की दुहाई की देने वाले गहलोत ने स्वयं सत्ता का बेजा इस्तेमाल करके विपक्ष के अधिकारों पर कुठाराघात करने का काम किया। इससे बड़े दुर्भाग्य की बात क्या होगी कि तत्समय सत्ताधारी पार्टी के विधायकों ने भी अपनी ही सरकार पर फोन टैप करने के गंभीर आरोप लगाकर मुख्यमंत्री को कटघरे में खड़ा किया था। लोकेश शर्मा ने गहलोत पर लगाए थे ये आरोप
लोकेश शर्मा ने पूर्व सीएम अशोक गहलोत पर आरोप लगाते हुए कहा था कि सियासी संकट के दौरान सचिन पायलट और उनके समर्थकों के फोन राज्य सरकार ने सर्विलांस पर ले रखे थे, उस समय पुलिस और गृह विभाग के कई आलाधिकारी भी इस मामले में लिप्त थे। गहलोत सचिन पायलट को पसंद नहीं करते थे और उनकी छवि जनता में धूमिल करना चाहते थे। इसलिए सरकार गिराने का षड़यंत्र रचा गया और पायलट पर ठीकरा फोड़ा गया।
उन्होंने कहा था कि 16 जुलाई 2020 को दिल्ली रोड स्थित एक होटल में विधायकों की बाड़ेबंदी की थी और मैं होटल में ही था। तब मेरे पास गहलोत के पीएसओ का फोन आया कि मुख्यमंत्री ने बुलाया है। मैं मुख्यमंत्री आवास पहुंचा तो गहलोत ने मुझे एक कागज और एक पेन ड्राइव दी और कहा कि इस पेन ड्राइव में विधायकों की खरीद-फरोख्त से जुड़े हुए ऑडियो हैं, जिन्हें मीडिया में जारी करना है। मैंने उन ऑडियो को पेन ड्राइव से अपने लैपटॉप में लिया और फिर लैपटॉप से अपने फोन में लेकर मीडिया में जारी कर दिया। उस समय मैंने मुख्यमंत्री के आदेशों की पालना की थी, क्योंकि मैं उनका सहायक था।