scriptराजस्थान हाईकोर्ट ने 13 साल की रेप पीड़िता को दी अबॉर्शन की अनुमति, भ्रूण के जीवित पाए जाने पर सरकार उठाएगी ये कदम | Rajasthan High Court allows 13-year old rape victim to abort her 28 week pregnancy | Patrika News
जयपुर

राजस्थान हाईकोर्ट ने 13 साल की रेप पीड़िता को दी अबॉर्शन की अनुमति, भ्रूण के जीवित पाए जाने पर सरकार उठाएगी ये कदम

Rajasthan News: राजस्थान हाईकोर्ट ने मंगलवार को एक महत्वपूर्ण निर्णय सुनाते हुए 13 वर्षीय नाबालिग रेप पीड़िता को 28 सप्ताह की गर्भावस्था के गर्भपात (अबॉर्शन) की अनुमति दी।

जयपुरMar 11, 2025 / 01:29 pm

Nirmal Pareek

Symbolic photo of a pregnant woman and Rajasthan High Court
Rajasthan News: राजस्थान हाईकोर्ट ने मंगलवार को एक महत्वपूर्ण निर्णय सुनाते हुए 13 वर्षीय नाबालिग रेप पीड़िता को 28 सप्ताह की गर्भावस्था के गर्भपात (अबॉर्शन) की अनुमति दी। अदालत ने कहा कि यदि पीड़िता को डिलीवरी के लिए मजबूर किया जाता है, तो उसे जीवनभर मानसिक और शारीरिक पीड़ा झेलनी पड़ेगी।

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दरअसल, हाईकोर्ट के जस्टिस सुदेश बंसल की एकलपीठ ने यह फैसला सुनाते हुए कहा कि नाबालिग लड़की को उसके माता-पिता की सहमति के आधार पर गर्भपात की अनुमति दी जा रही है। हालांकि मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट में गर्भपात को हाई-रिस्क जोन में बताया गया था, लेकिन पीड़िता के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देते हुए अदालत ने यह निर्णय लिया।

भ्रूण जीवित पाए जानें पर क्या होगा?

बता दें, पीड़िता को 12 मार्च को मेडिकल बोर्ड के सामने पेश किया जाएगा। जहां, महिला चिकित्सालय सांगानेर (जयपुर) की अधीक्षक को गर्भपात की संपूर्ण व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं। वहीं, राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण पीड़िता को सभी वित्तीय सहायता प्रदान करेगा। अगर भ्रूण जीवित पाया जाता है, तो राज्य सरकार उसके पालन-पोषण का संपूर्ण खर्च उठाएगी। यदि भ्रूण मृत होता है, तो उसका डीएनए सैंपल सुरक्षित रखा जाएगा।

कब जरूरी होती है कोर्ट की अनुमति?

गौरतलब है कि भारत में मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी (MTP) एक्ट 1971 के अनुसार, 24 सप्ताह तक की प्रेग्नेंसी में गर्भपात की अनुमति बिना अदालत के भी ली जा सकती है। लेकिन 24 सप्ताह के बाद अबॉर्शन के लिए कोर्ट की अनुमति आवश्यक होती है।
एक्ट के मुताबिक रेप पीड़िता, नाबालिग, दिव्यांग या मानसिक रूप से अस्वस्थ महिला को 24 सप्ताह तक गर्भपात की अनुमति दी जाती है। 24 हफ्ते से ज्यादा होने पर मेडिकल बोर्ड की राय और कोर्ट की अनुमति अनिवार्य होती है। साल 2020 में MTP एक्ट में संशोधन किया गया था, जिसके तहत अब अधिकतम 24 सप्ताह तक अबॉर्शन की अनुमति दी गई है।

यहां देखें वीडियो-

दिसंबर 2024 में कोर्ट की टिप्पणी

इससे पहले दिसंबर 2024 में राजस्थान हाईकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने कहा था कि रेप पीड़िताओं को उनके कानूनी अधिकारों की पूरी जानकारी नहीं दी जाती। कई बार पुलिस और संबंधित एजेंसियां भी पीड़िताओं को उनके अधिकारों के बारे में सूचित नहीं करतीं, जिससे वे मजबूरी में बच्चे को जन्म देने के लिए बाध्य हो जाती हैं।

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