विभाग की जांच में कई एलोपैथी और आयुष अस्पतालों में फर्जी क्लेम के जरिये करोड़ों रुपये का भुगतान उठाने के मामले सामने आ चुके हैं। कुछ मामलों में पुलिस में एफआइआर भी दर्ज करवाई गई है। कुछ आयुष अस्पतालों में एक ही मरीज की कई बार पंचकर्म थैरेपी करने सहित एलोपैथी अस्पतालों में फर्जी इलाज, दवा दुकानों पर फर्जी बिल के जरिये भुगतान उठाए। राजस्थान पत्रिका ने सबसे पहले इन मामलों का प्रमुखता से खुलासा किया था।
योजना बनेगी अधिक प्रभावी
सूत्रों के अनुसार राज्य सरकार ने इस योजना को अधिक प्रभावी बनाने के साथ फर्जीवाड़े की आशंका को जीरो करने की दिशा में भी काम शुरू किया है। इसमें बायोमैट्रिक सत्यापन शामिल करने सहित आउटडोर पर्ची पर लाभार्थी का नाम, चिकित्सक के हस्ताक्षर और आरएमसी नंबर जांचने की हिदायत दी गई है।
इससे फर्जी स्लिप के आधार पर दवाओं के वितरण को रोका जा सकेगा। वित्त विभाग के सचिव नवीन जैन का कहना है कि योजना में सुधार के लिए ही इसकी गड़बड़ियां पकड़ने के लिए काम किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि फर्जीवाड़े सामने आने के बाद योजना से अस्पतालों को असंबंद्ध करने व निलंबन की कार्रवाई भी लगातार जारी है।