भाजपा के वरिष्ठ नेता राजेंद्र राठौड़ ने प्रेसवार्ता को संबोधित कर पूर्व सीएम गहलोत पर पलटवार किया। उन्होंने कहा कि ‘किसी भी सरकार के समय होने वाले निर्माण कार्य प्रदेश की जनता के टैक्स से होते हैं। गत सरकार में कॉन्स्टीट्यूशन क्लब ऑफ राजस्थान को संचालित करने वाली कार्यकारी संस्था का चयन नहीं हुआ था लेकिन अब विधानसभा अध्यक्ष द्वारा इस संस्था के चयन के बाद लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला सहित विधानसभा के माननीय सदस्यों को कॉन्स्टीट्यूशन क्लब के प्रवेश के समय आमंत्रित किया जाना पूरी तरह न्यायसंगत और विधिसम्मत है।’
स्पीकर का अपमान करने में जुटे- राठौड़
राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि ‘जिस प्रकार घर में प्रवेश करते समय परिवार के सदस्यों को आमंत्रित किया जाता है उसी तरह कॉन्स्टीट्यूशन क्लब ऑफ राजस्थान का संचालन करने वाली संस्था के चयन के उपरांत क्लब के विधिवत कार्यशील होने के महत्वपूर्ण अवसर पर माननीय सदस्यों को आमंत्रित करना गलत कैसे हो सकता है? दुर्भाग्य है कि राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा राजस्थान विधानसभा के गौरवशाली इतिहास को कलंकित करने का काम कर रहे हैं और राजनीतिक स्वार्थों की पूर्ति के लिए विधानसभा अध्यक्ष का अपमान करने में जुटे हैं।’
गहलोत-पायलट के बाद नया गुट प्रारंभ- राठौड़
उन्होंने आगे कहा कि ‘कांग्रेस नेताओं द्वारा बार-बार विधानसभा अध्यक्ष को अपमानित करना ना केवल संसदीय परंपराओं को कमजोर करने का प्रयास है बल्कि उनकी संकीर्ण मानसिकता को भी दर्शाता है। कुछ दिनों पूर्व कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष द्वारा माननीय विधानसभा अध्यक्ष के प्रति निम्न स्तर के शब्दों का प्रयोग करना, निलंबित होने पर 7 दिन तक बेवजह गतिरोध बनाये रखना तथा विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष के माफी मांगने पर गतिरोध समाप्त होने के बाद भी सदन से लगातार अनुपस्थित रहना यह दर्शाता है कि कांग्रेस पार्टी में गहलोत बनाम पायलट गुट के अलावा अब नेता प्रतिपक्ष व कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष के नये गुट में अंतर्कलह प्रारंभ हो गई है।’ राजेंद्र राठौड़ ने आगे कहा कि ‘निश्चित तौर पर राजस्थान का कॉन्स्टीट्यूशन क्लब देश का सबसे आधुनिक और सर्वश्रेष्ठ क्लब है। यहां पर विधानसभा के नये सदस्यों को पूर्व विधायकों के अनुभव का लाभ मिलेगा, सदस्यों के बीच चर्चा व परिचर्चा होगी तथा यह क्लब संसदीय परंपराओं को सुदृढ़ करने का एक प्रमुख केंद्र बनेगा। विपक्ष के नाते कांग्रेस पार्टी को सकारात्मक राजनीति करनी चाहिए ना कि बेवजह विवाद खड़े करने चाहिए।’
पूर्व CM गहलोत ने सरकार पर साधा निशाना
इससे पहले पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए कॉन्स्टिट्यूशन क्लब को लेकर सरकार पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि ‘स्पीकर लोकसभा वो बहुत बड़ा गरिमामय पद है और उनको शायद जानकारी दी गई कि या नहीं दी गई कि इसका उद्घाटन हो चुका है। तत्कालीन स्पीकर डॉ. सीपी जोशी, तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ और शांति धारीवाल यूडीएच मंत्री सब मौजूद थे। प्रोग्राम के अंदर, फोटो छप गए अखबारों के अंदर, तो सबको मालूम है कि ये उद्घाटन हो चुका है और ऐसी परंपरा क्यों डाल रहे हैं लोग कि वापस उसका उद्घाटन करवाओ, शुभारंभ के नाम पर बुलाते हैं।’
6 साल पहले राजे ने भी ऐसा ही किया
गहलोत ने कहा कि ‘इसी प्रकार आपको याद होगा कि पांच छह साल पहले वसुंधरा राजे ने बुलाया था प्रधानमंत्री मोदी जी को, रिफाइनरी का प्रोजेक्ट जो 37 हजार करोड़ का था, जब मैंने उसका शिलान्यास करवाया था। डॉ. वीरप्पा मोइली आए थे, सोनिया गांधी जी आईं थीं और वो टाइम बाउंड प्रोग्राम पूरा हो जाता, पांच साल तक उसको बंद रखा गया कि श्रेय कांग्रेस को नहीं मिले। ये प्रोजेक्ट आज वाला जो ये कंस्टीट्यूशन क्लब का है, इसको बंद इसलिए रखा गया कि श्रेय कांग्रेस को नहीं मिले। गांधी वाटिका को भी एक साल इसलिए बंद रखा गया कांग्रेस को श्रेय नहीं मिले।’ उन्होंने आगे कहा कि ‘हमारी सोच में और उनकी सोच में इतना रात दिन का फर्क है। बहुत अनफॉर्चुनेट है कि यहां ये सरकार और यहां के स्पीकर साहब पता नहीं क्या सोच कर के इसका वापस शुभारंभ करने के नाम पर एक साल तक बंद रखा गया, जो उद्देश्य से बनाया गया है कंस्टीट्यूशन क्लब, हिंदुस्तान में सबसे शानदार कंस्टीट्यूशन क्लब राजस्थान में बना है,और राज्यों में तो होगा भी नहीं, खाली दिल्ली के अंदर लोकसभा, पार्लियामेंट के साथ अटैच्ड एक कंस्टीट्यूशन क्लब।’
दुर्भाग्यपूर्ण… स्थिति अच्छी नहीं है- गहलोत
पूर्व सीएम गहलोत ने कहा कि ‘एक नया हमनें आयाम स्थापित किया, यहां के इंटेलेक्चुअल ,यहां के पत्रकार, यहां के साहित्यकार, यहां के रिटायर्ड ब्यूरोक्रेट्स, यहां के रिटायर्ड ज्यूडिशियरी के लोग, यहां के रिटायर्ड पॉलिटिशियंस, एमएलए, एमपी, एक्स एमपी, एक्स एमएलए सब बैठ के चर्चा कर सकें, इस प्रकार की सुविधाएं मिलें लोगों को, प्लेटफॉर्म मिले,ये सोच के जो इतना बड़ा काम हाथ में लिया, और शानदार बिल्डिंग खड़ी हो गई, अब क्या एक साल से बंद पड़ी हुई है ये अनफॉर्चुनेट है ये मेरा मानना है।’ उन्होंने कहा कि ‘अभी भी समय है ओम बिरला को खुद ऐसे प्रोग्राम में भाग नहीं लेना चाहिए। इस तरीके से आप खुद ही शुभारंभ कर दें, क्या दिक्कत है उसके अंदर। जिस प्रकार की गोविंद डोटासरा बोले भी हैं ये इस प्रकार से जिस सोच के साथ में ये फैसले कर रहे हैं वो दुर्भाग्यपूर्ण है मेरा मानना है कि ये स्थिति अच्छी नहीं है।’