न्यायाधीश विक्रम नाथ और न्यायाधीश प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने इस मामले में राजस्थान हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ दायर अपील पर सुनवाई की। ससुर ने आरपीएस अधिकारी की बेटी के साथ क्रूरता का आरोप लगाते हुए दामाद के खिलाफ हिसार और उदयपुर में मुकदमा दर्ज कराया। पहले हिसार में शिकायत दी और 5 दिन बाद उदयपुर में शिकायत दर्ज कराई।
उदयपुर में दर्ज एफआइआर रद्द करवाने के लिए इस महिला के पति ने राजस्थान हाईकोर्ट में याचिका दायर की, जिसे यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि उदयपुर की शिकायत हिसार से पहले की थी। राजस्थान पुलिस को हिसार की कार्यवाही की जानकारी नहीं थी। इसके बाद मामला अपील के जरिए सुप्रीम कोर्ट पहुंचा।
सुप्रीम कोर्ट के सामने आया कि महिला पुलिस अधिकारी ने सीआरपीसी के प्रावधान की जानकारी होते हुए न खुद हिसार के कोर्ट में गवाही दी और न ही उसके पिता ने गवाही दी, जिससे कोर्ट और जांच एजेंसी का समय बर्बाद हुआ। साथ ही, हाईकोर्ट के आदेश पर टिप्पणी भी की है। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट और राजस्थान पुलिस से कहा कि उनसे शिकायत को ध्यान से पढ़ने की उम्मीद की जाती है।