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Rajasthan News: ERCP के बाद अब WRCP से राजस्थान के इन 7 जिलों से होगा फायदा, गुजरात CM को लिखा पत्र

Western Rajasthan Canal Project: राजस्थान सरकार अब डब्ल्यूआरसीपी विवाद सुलझाने में जुटी हुई है। विवाद सुलझा तो जालौर सहित प्रदेश के कई जिलों में सिंचाई की तस्वीर बदल जाएगी।

जयपुरMar 16, 2025 / 11:28 am

Anil Prajapat

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जयपुर। ईआरसीपी (राम जल सेतु लिंक परियोजना) से जुड़ा का विवाद खत्म होने बाद अब राज्य सरकार डब्ल्यूआरसीपी (पश्चिमी राजस्थान नहर परियोजना) का विवाद सुलझाने के लिए आगे बढ़ रही है। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने गुजरात के सीएम को पत्र लिखा है, जिसमें माही बेसिन का पानी केवल राजस्थान के उपयोग में लाने के लिए समझौते से जुड़े तथ्यों की जानकारी दी गई है। विवाद सुलझता है तो जालौर सहित प्रदेश के कई जिलों में सिंचाई की तस्वीर ही बदल जाएगी। वहीं, लाखों की आबादी को पेयजल भी उपलब्ध होगा।
उधर, जल संसाधन विभाग ने सर्वे तो करा लिया है, लेकिन दोनों राज्यों के बीच जल समझौते पर सहमति नहीं बन जाती, तब तक डीपीआर (विस्तृत परियोजना रिपोर्ट) बनाने से बच रहे हैं। जलशक्ति मंत्रालय भी जल विवाद खत्म करने से जुड़े मामलों में मॉनिटरिंग कर रहा है।

इसलिए उम्मीद ज्यादा

गुजरात और राजस्थान दोनों जगह भाजपा की सरकार है। दोनों राज्यों के सीएम के बीच इस मामले में समन्वय हुआ है। केन्द्र सरकार लगातार अन्तरराज्यीय पानी के इश्यू पर सक्रिय है। ईआरसीपी का विवाद ही उनके स्तर पर ही सुलझा है। पश्चिमी राजस्थान के कई विधायकों ने इसकी जरूरत जताई है। इसमें सत्तारूढ़ पार्टी के विधायक मुख्य हैं। हाल ही विधानसभा में भी इस मामले में सरकार पर दबाव बनाया गया। जल संसाधन मंत्री सुरेश सिंह रावत का जवाब भी सकारात्मक रहा। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा खुद पश्चिमी राजस्थान के विधायकों के साथ बैठक कर चुके हैं।

इन जिलों को जोड़ा जा सकता है

पश्चिमी राजस्थान के जालौर, जोधपुर, पाली, बाड़मेर, जैसलमेर के अलावा बांसवाडा, डूंगरपुर तक भी पानी पहुंच सकता है।

यह होगा फायदा

-4.5 मिलियन हेक्टेयर रेगिस्तानी भूमि को कृषि योग्य बनाया जा सकता है।
-पश्चिमी राजस्थान की डेढ़ करोड़ से अधिक आबादी को पीने का पानी उपलब्ध होगा।
-कृषि क्षेत्र में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और पलायन रुकेगा।
-भूजल स्तर में सुधार होगा।
-उद्योगों के लिए भी पानी उपलब्ध होगा।

गुजरात से यह है समझौता

राजस्थान व गुजरात सरकार के मध्य 10 जनवरी 1966 को समझौता हुआ था। इसके तहत गुजरात सरकार से माही बांध निर्माण में 55 फीसदी लागत देने व 40 टीएमसी पानी लेने पर सहमति बनी। जब नर्मदा का पानी गुजरात के खेड़ा जिले में पहुंच जाएगा, तब गुजरात राजस्थान के माही बांध का पानी उपयोग में नहीं लेगा और उस पानी का उपयोग राजस्थान में ही होगा। वर्षों पहले नर्मदा का पानी खेड़ा तक पहुंच चुका है। इसके बावजूद समझौते की पालना नहीं हो रही है और गुजरात ने माही के पानी पर हक बरकरार रखा है। इस पानी को पहले 350 किमी लंबी कैनाल के जरिए जालोर तक लाने का प्लान है।

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इनका कहना है

फिजिबिलिटी रिपोर्ट का आंकलन किया जा रहा है, जिसके बाद आगे बढ़ेंगे। मुख्यमंत्री लगातार मॉनिटरिंग कर रहे हैं। उन्होंने गुजरात के सीएम से भी बात की है। उम्मीद है जल समाधान होगा और प्रदेश के पश्चिमी जिलों में पानी के लिए काम होगा।
-सुरेश सिंह रावत, जल संसाधन मंत्री

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