मैंने लोक सभा में कई बार कमलेश प्रजापत फर्जी एकाउंटर के दोषी नेताओं और अफसरों पर कार्यवाही की मांग भी उठाई थी। दिवंगत कमलेश प्रजापत की पत्नी के प्रार्थना पत्र पर न्यायालय की ओर से प्रसंज्ञान आदेश में वर्णित तथ्यों को पढ़ने से यह स्पष्ट होता है कि पुलिस ने एक राजनेता और उनके परिवार के संरक्षण में कमलेश प्रजापत का फर्जी एनकाउंटर किया था। देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसियों में से एक सीबीआई की जांच पर आम आदमी का भरोसा होता है। मगर इस मामले में सीबीआई द्वारा अपनी जांच में कांग्रेस सरकार के एक मंत्री और उसके भाई की भूमिका की जांच किए बिना ही क्लोजर रिपोर्ट दाखिल करने से यह भी स्पष्ट हो गया कि भारतीय जनता पार्टी के कई नेताओं ने इस मामले में कांग्रेस के नेता को बचाने में पूरा जोर लगाया था। जो भाजपा व कांग्रेस के आंतरिक गठजोड़ की सच्चाई पर मुहर भी लगाता है। हमें उम्मीद है दिवंगत कमलेश प्रजापत के परिजनों को न्याय मिलेगा।
बता दें, ACJM कोर्ट ने CBI की क्लोजर रिपोर्ट पर असहमति जताते हुए आदेश दिए कि 24 पुलिसकर्मियों पर हत्या, आपराधिक षड्यंत्र, दंगा और साक्ष्य मिटाने जैसी धाराओं में केस दर्ज हो। CBI को दो महीने के भीतर पूर्व मंत्री, IG, और अन्य अधिकारियों की भूमिका की विस्तृत जांच कर रिपोर्ट पेश करने का आदेश भी दिया है।
वहीं, कहा कि प्रकरण को नियमित फौजदारी केस के तौर पर दर्ज किया जाए। साथ ही परिवादी जशोदा को मुकदमे की पैरवी के निर्देश, अभियुक्तों को गिरफ्तारी वारंट के जरिए तलब करने का आदेश दिया है।
क्या है एनकाउंटर मामला..
22 अप्रैल 2021 को सदर थाना क्षेत्र के सेंट पॉल स्कूल के पीछे एक मकान में पुलिस कमलेश प्रजापत को पकड़ने गई थी। तब कमलेश ने एसयूवी गाड़ी का गेट तोड़ कर भागने की कोशिश की, इस दौरान पुलिस कमांडों ने गोली मार कर उनका एनकाउंटर कर दिया था। इसके बाद समाज के लोगों ने कई दिनो तक प्रदर्शन किया। जिसके चलते गहलोत सरकार ने 31 मई 2021 को जांच सीबीआई को सौंप दी थी। इसके बाद 29 दिसंबर 2022 को सीबीआई में एफआईआर दर्ज हुई थी। जांच में सीबीआई ने क्लोजर रिपोर्ट कोर्ट में पेश की थी।