मनमानी : सुविधाओं के अभाव में सैलानी हो रहे निराश, ईको टूरिज्म के नाम पर कमाई में लगा हैं जिम्मेदार
Jagdalpur News: कांगेर घाटी प्रबंधन ईको टूरिज्म के नाम पर कमाई में लगा हैं। यहां प्रबंधन द्वारा किये जा रहे कामकाज के तौर तरीके और बाहरी दखलंदाजी से स्थानीय लोगों में रोष व्याप्त है।
Chhattisgarh News: जगदलपुर। जैव विविधताओं और नैसर्गिग खूबसूरती के लिये प्रसिद्ध बस्तर का कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान ईको टूरिज्म को बढ़ावा देने के नाम पर कई तरह के कार्यों और बाहरी लोगों का प्रयोग शाला बनकर रह गया है।
यहां प्रबंधन द्वारा किये जा रहे कामकाज के तौर तरीके और बाहरी दखलंदाजी से स्थानीय लोगों में रोष व्याप्त है। यहां के पर्यटन स्थलों में लगातार बढ़ रही अव्यवस्था और सुविधाओं में कमी के चलते सैलानियों में निराशा है। यहां स्थानीय लोगों को रोजगार देने के नाम पर जगह जगह स्व सहायता समूह के द्वारा पर्यटकों से अवैध रूप से मनमाने तरीके से शुल्क वसूलने की छूट देना भी परेशानी का सबब बना हुआ है।
तीरथगढ़ जलप्रपात में अव्यवस्था गर्मियों के दिनों में यहां के प्रसिद्ध जलप्रपात तीरथगढ़ में पानी की धारा पतली हो जाती है। इसके अलावा इस जलप्रपात के आसपास हजारों किलोमीटर से आये सैलानियों के लिये किसी प्रकार की रूकने, खाने और पेयजल की व्यवस्था की कमी है। यहां जलपान के लिये पर्याप्त सुविधाओं का आभाव है। न बैठने के लिये पर्याप्त जगह है न पीने के लिये वाटर कूलर की व्यवस्था है। यहां पर बंदरों के द्वारा सैलानियों के साथ आये दिन खाने पीने की वस्तुओं का छीना झपटी आम है जिसके लिये सुरक्षा के कोई प्रबंध नहीं है।
यह नहीं पढ़े: ऐसी क्या बात हो गई.. गुस्साए गांव वालों ने बाप-बेटे को बुरी तरह पीटा, हालत गंभीरकोटमसर गुफा के रास्ते ठगे जा रहे सैलानी कोटमसर गुफा कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान का सबसे बड़ा आकर्षण का केन्द्र है। यहां आने वाले सभी पर्यटक यहां की प्राकृतिक रूप से निर्मित हजारों साल पुराने गुफा देखने जरूर जाते हैं। यहां पहुुंचने के लिये पार्क प्रबंधन द्वारा जिप्सी उपलब्ध कराई जाती है जिसमें कुल छह लोगों को एक बार में बिठाया जाता है। इसके एवज में आने जाने में कुल दस किमी का 15 सौ रूपये वसूला जाता है। इस राशि में पर्यटकों को पार्क प्रबंधन की ओर से पानी तक नहीं दिया जाता। कैमरा चार्ज, गाइड और प्रकाश व्यवस्था के नाम वसूली की जाती है।
ईको टूरिज्म पर काम, मगर आम पर्यटकों से दूरी कहने को कांगेर घाटी में ईको टूरिज्म को बढ़ावा देने के नाम पर साल भर से कई तरह के प्रयास किये जा रहे है। इसके लिये पार्क प्रबंधन नये नये तरीके अपना रहा है किन्तु यह सब उनके द्वारा प्रायोजित लोगों तक सीमित है। प्रमोशन और ईको टूरिज्म के नाम पर बाहर से बुलाये गये लोगों को घाटी के भीतर ले जाकर मनमाने तरीके से घुमाया और दिखाया जाता है इस तरह के आयोजनों का स्थानीय स्तर पर कोई फायदा मिलता दिखाई नहीं देता।
आधे दर्जन झरने, लेकिन नहीं पहुंच पाते सैलानी कांगेर घाटी नेशनल पार्क में वैसे तो करीब आधे दर्जन प्राकृतिक झरने मौजूद हैं जो यहां की खूबसूरती और हरियाली को बनाये रखने में सहायक हैं। इन झरनों में शिवगंगा, कांगेरधारा, झुलना दरहा, भैसा दरहा सहित आधे दर्जन झरने तक पहुंचने पार्क प्रबंधन किसी तरह का व्यवस्था नहीं करवा पाया है जिसके चलते इन जगहों पर लोग नहीं पहुंच पाते और यहां की खुबसूरती को देखने से वंचित रह जाते हैं।