मालूम हो, राजस्व संबंधी कार्यों लिए निगम में ई नगर पालिका पोर्टल प्रचलित है। करीब डेढ़ वर्ष पहले यह पोर्टल हैक हो गया था और लंबे समय तक काम ठप रहा। भोपाल स्तर पर शुरू हुए काम के बाद निगम ने दावा किया कि पूरा डाटा रिकवर हो गया है, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। कई करदाताओं के खातों में गड़बड़ी हो गई। कुछ करदाताओं का जमा टैक्स भी बकाया बताया जाने लगा तो कुछ बकाया एडवांस टैक्स के तौर पर जमा दिखाया गया।
इसके बाद इसी पोर्टल पर काम हुआ। वित्तीय वर्ष खत्म होने के बाद इस पोर्टल की जगह नगरीय प्रशासन विभाग ने ई नगर पालिका पोर्टल 2.0 लांच कर दिया। नगर निगम को नगरीय प्रशासन विभाग द्वारा चिट्ठी लिखकर जानकारी दी गई है कि नए वर्जन के पोर्टल पर नगर निगम का डाटा ट्रांसफर कर दिया गया है। अब निगम में राजस्व संबंधी सभी काम इसी पोर्टल पर किए जाएं।
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निगम ने खुद का पोर्टल बनाना शुरू कर दिया है। एक सप्ताह में इस पोर्टल का काम शुरू हो जाएगा। दो माह में यह पोर्टल एक्टिव हो जाएगा। ऐसे में निगम अफसरों की परेशानी यह है कि दो पोर्टल पर काम कैसे किया जाए? स्पष्ट नीति नहीं होने से यह भी चुनौती है कि 2.0 पोर्टल से नगर निगम के नए पोर्टल पर डाटा कैसे शिट होगा?
कहीं ऐसा न हो कि नए पोर्टल पर डाटा अधूरा रहे। निगम के आइटी विभाग का दावा है कि निगम का खुद का पोर्टल हाईटेक होगा। निगम अफसरों के अलावा आम जन भी अपने टैक्स से संबंधित जानकारी ले सकेंगे। टैक्स जमा करने के लिए गेटवे उपलब्ध रहेगा, ताकि वे पोर्टल से ही टैक्स जमा कर सकें।