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इंदौर

जैन लोगों को हिंदू मैरिज एक्ट के तहत तलाक नहीं, फैमिली कोर्ट ने दिया तर्क

Hindu Marriage Act: मध्य प्रदेश की इंदौर फैमिली कोर्ट ने एक याचिका की सुनवाई के दौरान कहा कि हिंदू मैरिज एक्ट के तहत जैन धर्म के दंपत्तियों को तलाक नहीं दिया जा सकता। यह मामला अब एमपी हाईकोर्ट पहुंच चुका है।

इंदौरMar 07, 2025 / 12:47 pm

Akash Dewani

Jain people cannot get divorce under Hindu Marriage Act said by Indore Family court in madhya pradesh
Hindu Marriage Act: मध्य प्रदेश के इंदौर में स्थित फैमिली कोर्ट ने जैन धर्म से जुड़े लोगों से जुडी तलाक की एक साथ 29 याचिकाओं को खारिज कर दिया था। कोर्ट ने कहा कि हिंदू मैरिज एक्ट के तहत जैन धर्म के दंपत्तियों को तलाक नहीं दिया जा सकता। हालांकि, इस मामले में हाई कोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाते हुए कहा कि जब तक इस मामले में अंतिम निर्णय नहीं आ जाता, तब तक फैमिली कोर्ट सिर्फ धर्म के आधार पर जैन समुदाय की तलाक याचिकाओं को खारिज नहीं कर सकता।

इस केस से उठा मुद्दा

दरअसल, एक 37 साल के जैन सॉफ्टवेयर इंजीनियर ने अपनी पत्नी से आपसी सहमति से तलाक लेने के लिए याचिका दायर की थी, जिसे फैमिली कोर्ट ने खारिज कर दिया। कोर्ट ने तर्क दिया कि 2014 में जैन धर्म को अल्पसंख्यक धर्म का दर्जा दिया गया था, इसलिए अब जैन समुदाय के लोग हिंदू विवाह अधिनियम के तहत राहत नहीं ले सकते। इस फैसले के बाद इंदौर के फैमिली कोर्ट ने इसी आधार पर 28 अन्य तलाक याचिकाओं को भी खारिज कर दिया।
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हाई कोर्ट ने फैसले पर लगाई रोक

फैमिली कोर्ट के इस फैसले को वकीलों ने हाई कोर्ट में चुनौती दी। हाई कोर्ट ने इस मामले में वरिष्ठ अधिवक्ता एके सेठी को एमिकस क्यूरी नियुक्त किया है। इस मामले की अगली सुनवाई 18 मार्च को होगी। याचिकाकर्ता के वकील पंकज खंडेलवाल ने तर्क दिया कि जैन समुदाय के लोग ऐतिहासिक रूप से हिंदू विवाह अधिनियम के तहत ही कानूनी राहत पाते रहे हैं। हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 2 में बौद्ध, जैन और सिख समुदाय को स्पष्ट रूप से शामिल किया गया है। अगर जैन समुदाय को इससे बाहर रखा जाता है, तो उनके वैवाहिक विवादों के समाधान के लिए कोई कानूनी मार्ग नहीं बचेगा।
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जैन धर्म अलग परंपराओं वाला धर्म

फैमिली कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि जैन धर्म वैदिक परंपराओं का पालन नहीं करता, जाति भेद को नहीं मानता और इसके अपने पवित्र ग्रंथ हैं, इसलिए इसे हिंदू धर्म से अलग माना जाना चाहिए।

हाई कोर्ट ने कहा- अंतिम निर्णय तक याचिकाएं खारिज न करें

हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि जब तक इस मुद्दे पर अंतिम निर्णय नहीं आ जाता, तब तक परिवार न्यायालय को केवल धर्म के आधार पर तलाक याचिकाओं को खारिज करने से रोका जाता है। अब इस मुद्दे पर 18 मार्च को अगली सुनवाई होगी, जिसमें यह तय होगा कि जैन समुदाय के लोगों को हिंदू विवाह अधिनियम के तहत राहत मिलेगी या नहीं।

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