कहा कि हम इस बात से आश्चर्यचकित और स्तब्ध हैं कि जब पक्षकारों ने तलाक के लिए याचिका दायर की, तो पारिवारिक न्यायालय को आपसी सहमति से तलाक दे देना चाहिए था। अनावश्यक रूप से ये पक्षकार 2018 से मानसिक पीड़ा झेल रहे हैं।
तलाक देने से किया इंकार
इंदौर की रुचि व हैदराबाद के रवि ने आपसी सहमति से तलाक के लिए 2015 में परिवार न्यायालय में केस लगाया था। तीन साल सुनवाई बाद कोर्ट ने अगस्त 2018 में उनकी अर्जी खारिज करते हुए तलाक देने से इंकार कर दिया। इस पर दोनों ने हाई कोर्ट में अपील की। इसकी सुनवाई के 7 साल बाद हाई कोर्ट ने बुधवार को फैसला सुनाते हुए न सिर्फ फैमिली कोर्ट के फैसले को गलत ठहराया, बल्कि 2001 में हुए उनके विवाह को भी खत्म कर दिया। ये भी पढ़ें: 12th में अगर कम हैं नंबर तो नही मिलेगी बड़ी कंपनियों में नौकरी! देखें रिपोर्ट पत्नी बोली- बच्चों सहित यूएसए शिफ्ट हो गईं हूं
हाई कोर्ट में बुधवार को सुनवाई के दौरान रुचि उपस्थित हुई और कोर्ट को बताया कि 2015 से ही पति-पत्नी अलग-अलग रह रहे हैं। दोनों बच्चे उनके ही पास हैं। दोनों बच्चों के साथ वह यूएसए शिफ्ट हो चुकी हैं। वहीं, बच्चे पत्नी के पास रहने को लेकर पति की ओर से कोई आपत्ति नहीं ली गई।