Fungal Infection पर WHO की पहली रिपोर्ट: मृत्यु दर 88% तक, हालात चिंताजनक
Fungal infections mortality rate : WHO की रिपोर्ट में इनवेसिव फंगल रोगों के लिए दवाओं और निदान उपकरणों की भारी कमी उजागर हुई है। FPPL सूची के कुछ फंगस 88% तक मृत्यु दर वाले हैं। इम्यूनोकॉम्प्रोमाइज्ड मरीजों की संख्या बढ़ने से संक्रमण के मामले बढ़ सकते हैं, लेकिन सीमित निदान, दवा की कमी और धीमा R&D संकट को गंभीर बना रहे हैं।
WHO First Report on Fungal Infections Shocking 88 percent Mortality Rate Revealed
WHO fungal infection report : स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को फंगल संक्रमण और उनके इलाज को लेकर अक्सर सीमित जानकारी होती है। इसके अलावा, फंगस के उपचार-प्रतिरोधी होने से यह समस्या और भी जटिल हो जाती है। इसी गंभीर चुनौती को देखते हुए, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने अपनी पहली रिपोर्ट जारी की है, जिसमें फंगल संक्रमण के निदान और उपचार की कमी को उजागर किया गया है।
घातक फंगल संक्रमण: 88% तक मृत्यु दर (Fungal infections mortality rate)
WHO की फंगल प्राथमिक रोगजनक सूची (FPPL) के ‘क्रिटिकल प्रायोरिटी’ श्रेणी में आने वाले फंगस अत्यधिक घातक हैं, जिनकी मृत्यु दर 88% तक पहुंच सकती है। चिकित्सा विज्ञान में हुई प्रगति के कारण अब अधिक लोग प्रतिरक्षा से जुड़ी बीमारियों के साथ जी रहे हैं, जिससे इनवेसिव फंगल संक्रमणों के मामले बढ़ सकते हैं। लेकिन यह चुनौती और कठिन बन जाती है क्योंकि:
– निदान (डायग्नोसिस) के लिए जरूरी उपकरणों की उपलब्धता बेहद सीमित है।
– एंटीफंगल दवाएं कम हैं और नई दवाओं का विकास धीमा है।
– नई दवाओं के लिए R&D प्रक्रिया जटिल और लंबी होती है।
नई एंटीफंगल दवाओं की धीमी प्रगति (Antifungal drug shortage)
WHO की रिपोर्ट बताती है कि पिछले 10 वर्षों में केवल 4 नई एंटीफंगल दवाओं को अमेरिका, यूरोपीय संघ या चीन में मंजूरी मिली है। इस समय, स्वास्थ्य के लिए सबसे बड़ा खतरा माने जाने वाले फंगस के खिलाफ 9 दवाएं क्लिनिकल ट्रायल में हैं, लेकिन इनमें से केवल 3 दवाएं ही फेज-3 ट्रायल में पहुंची हैं। यानी, अगले 10 वर्षों में बहुत कम नई दवाएं बाजार में आने की उम्मीद है।
Fungal Infection के निदान में भी गंभीर चुनौतियां
WHO की नए डायग्नोस्टिक्स पर रिपोर्ट बताती है कि कई फंगल रोगजनकों की पहचान के लिए व्यावसायिक रूप से उपलब्ध परीक्षण मौजूद हैं, लेकिन ये केवल अच्छी तरह सुसज्जित प्रयोगशालाओं और प्रशिक्षित कर्मचारियों के लिए ही प्रभावी हैं। खासतौर पर निम्न और मध्यम आय वाले देशों (LMICs) में ये परीक्षण लोगों की पहुंच से बाहर हैं। ऐसे देशों को तेजी से, सटीक, सस्ते और आसान परीक्षणों की जरूरत है, जो प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर भी आसानी से किए जा सकें।