गर्मी का बढ़ता असर: आंकड़ों से समझें खतरे को (Increasing effect of heat Understand danger from statistics)
भारत में भारत मौसम विभाग (IMD) के अनुसार, इस साल हीटवेव के दिनों की संख्या औसत से लगभग दोगुनी होने का अनुमान है। पिछले साल मार्च से मई तक हीट स्ट्रोक से 56 मौतें और 24,849 संदिग्ध मामले सामने आए थे। एक अध्ययन से यह भी खुलासा हुआ है कि पिछले एक दशक में गर्मी से होने वाली मौतों में 55% का इजाफा हुआ है। यह आंकड़े बताते हैं कि गर्मी से जुड़ी बीमारियों को हल्के में लेना अब बिल्कुल भी उचित नहीं है।
अधिक जोखिम वाले लोग: कौन ज्यादा प्रभावित हो सकता है?
कुछ खास लोग इस स्थिति के लिए अधिक संवेदनशील होते हैं, जैसे कि वृद्ध व्यक्ति, जिन्हें प्यास का एहसास कम होता है और वे पर्याप्त पानी नहीं पीते। इसके अलावा, बाहरी कामकाजी लोग, जैसे कि किसान, निर्माण श्रमिक और सड़क विक्रेता भी अधिक जोखिम में होते हैं क्योंकि वे लगातार गर्मी के संपर्क में रहते हैं और उनके पास पानी पीने का समय या सुविधा नहीं होती। जिन लोगों को डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर या किडनी की समस्याएं हैं, वे भी इस स्थिति के शिकार हो सकते हैं, खासकर यदि वे ऐसे दवाइयाँ लेते हैं जो शरीर से अधिक पानी बाहर निकालती हैं।बचाव के उपाय: कैसे करें सुरक्षा (low bp treatment at home in hindi)
हाइड्रेशन (पानी की कमी को दूर करें) – सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण उपाय है शरीर को हाइड्रेट रखना। गर्मियों में 8 से 10 गिलास पानी पीना चाहिए, और अधिक गर्मी के दिनों में इससे भी ज्यादा। नारियल पानी और ओरल रिहाइड्रेशन सॉल्यूशन (ORS) शरीर के इलेक्ट्रोलाइट्स की कमी को भी पूरा करते हैं।