2024 में ग्वालियर चंबल संभाग में मानसून(Monsoon Forecast 2025) खूब बरसे थे। अगस्त व सितंबर में जो सिस्टम आए थे, उनकी वजह से औसत से ज्यादा बारिश हुई थी। जिला सहित अंचल में बाढ़ भी आ गई थी, जो जल संरचनाएं वर्षों से नहीं भरी थी। वह जल संरचनाएं ओवर फ्लो हो गई थी। इस बार भी वैसी ही स्थिति बन रही है। यदि अंचल के हिसाब से पिछले तीन साल की स्थिति देखी जाए तो मौसम विभाग की भविष्यवाणी सही साबित हो रही है। इस बार भविष्यवाणी साबित होती है तो अंचल में कृषि व पेयजल के लिए पानी का संकट नहीं होगा।
इन कारणों से प्रभावित होता है मानसून
- भारत के मानसून(Monsoon Forecast 2025) को अल नीनो व ला नीना प्रभावित करता है।
- अल नीनो के दौरान भूमध्यरेखीय प्रशांत क्षेत्र में समुद्री सतह का तापमान बढ़ जाता है, जिससे व्यापारिक हवाएं कमजोर हो जाती हैं। इससे भारत में मानसून कमजोर हो जाता है, जिससे सूखे और कृषि नुकसान की संभावना बढ़ जाती है।
- ला नीना के दौरान, भूमध्यरेखीय प्रशांत क्षेत्र में समुद्री सतह का तापमान सामान्य से कम हो जाता है, जिससे व्यापारिक हवाएं मजबूत हो जाती हैं। इससे भारत में मानसून(Monsoon 2025) मजबूत होता है, जिससे सामान्य से अधिक वर्षा होती है।
- इस वर्ष प्रशांत महासागर में ईएनएसओ की स्थितियां व्याप्त हैं, जो ला नीना की स्थितियों के समान होती है। इस कारण अच्छी बारिश की संभावना है।
- हिंद महासागर में आईओडी की स्थितियां मजबूत हैं। आईओडी स्थिति मजबूत होने से मानसून पर विभिन्न प्रभाव पड़ सकते हैं। सकारात्मक का मतलब है कि पूर्वी हिंद महासागर ठंडा और पश्चिमी भाग गर्म होता है, जिससे मानसून मजबूत होता है और भारत में अधिक वर्षा होती है।