दरअसल हाई कोर्ट (MP High Court) में लोक निर्माण विभाग (PWD), पीएचई (PHE) में नियमित किए गए कर्मचारियों के वेतन के भुगतान के लिए आरआरसी जारी है। हाईकोर्ट ने कर्मचारियों का वेतन भुगतान करने का आदेश दिया, लेकिन विभाग ने कोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया। कर्मचारियों ने अवमानना याचिका दायर की। अवमानना याचिका लंबे समय से लंबित थी। जस्टिस जीएस अहलूवालिया की बैंच में अवमानना की सुनवाई की जा रही है।
कोर्ट के आदेश के पालन में उन्होंने क्या कार्रवार्ई की, वह भी नहीं बता पा रहे हैं। इसके चलते भिंड कलेक्टर की लगातार पेशी हो रही है। भिंड कलेक्टर ने कोर्ट के साथ धोखाधड़ी की कोशिश भी की। भिंड में पीडब्ल्यूडी की संपत्ति नहीं होने का दावा कलेक्टर ने किया। इस कारण कोर्ट ने उनकी कार्य प्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए।
17 लाख का बकाया, ग्वालियर कलेक्टर देना होगा जवाब
रामकुमार गुप्ता को
ग्वालियर के पीडब्ल्यूडी में नियमित किया गया। इनके वेतन का एरियर्स 17 लाख रुपए है, बकाए की वसूली के लिए आरआरसी जारी है, लेकिन आरआरसी का पालन नहीं किया गया। 2018 से अवमानना याचिका लंबित है। ग्वालियर कलेक्टर ने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की, जिसको लेकर गुरुवार को हाईकोर्ट ने नाराजगी जताई। कोर्ट ने ग्वालियर कलेक्टर को 7 मार्च सुबह 10:30 बजे तलब कर लिया है।
भुगतान के लिए क्या प्रयास किए, नहीं बता पाए भिंड कलेक्टर
सुभाष सिंह भदौरिया ने अपने वेतन का बकाया लेने के लिए हाईकोर्ट में अवमानना याचिका दायर की है। बकाया राशि के लिए आरआरसी जारी हो चुकी है। बावजूद इसके पैसा नहीं दिया गया। कोर्ट ने कहा कि भिंड कलेक्टर ने पहले भी न्यायालय को गुमराह करने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि भिंड में पीडब्ल्यूडी की कोर्ई संपत्ति नहीं है। जब कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया अपनी गलती का अहसास हुआ।
कलेक्टर के जवाब से संतुष्ट नहीं हुआ कोर्ट, अब मिलेगी सजा
न्यायालय में उपस्थित होने के बाद कलेक्टर को अहसास हुआ कि वह धोखाधड़ी कर रहे हैं। फिर भिंड में पीडब्ल्यूडी की संपत्तियां बताई गई। पीडब्ल्यूडी भिंड के ऊपर 3 करोड़ 50 लाख रुपए की आरआरसी जारी है। कोर्ट ने भिंड कलेक्टर से आरआरसी के भुगतान के लिए क्या प्रयास किए। इसकी जानकारी मांगी थी। गुरुवार को कलेक्टर का जवाब कोर्ट को संतुष्ट नहीं कर पाया। इसके चलते उन्हें अवमानना के लिए दोषी मान लिया। दंड पर सुनवाई के लिए तलब किया है।