जिले में एक बार फिर एक ही साथ डेढ़ हजार जोड़े मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना के अंतर्गत बड़े ही धूमधाम से वैवाहिक बंधन में बंधने जा रहे हैं। खास बात यह कि इन जोड़ों को आशीर्वाद देने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद मौजूद रहेंगे। जिला समाज कल्याण अधिकारी वशिष्ठ नारायण सिंह कहते हैं कि मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना सिर्फ औपचारिकता नहीं है, बल्कि इसमें वैवाहिक जीवन में प्रवेश करने वाले जोड़ों को गृहस्थी के जरूरी सामान देने के साथ भविष्य की जरूरतों के लिए बिटिया के खाते में 35 हजार रुपए की धनराशि भी दी जाती है।
सामूहिक विवाह योजना के तहत वृहद व भव्य समारोह का आयोजन 22 जून को पूर्वाह्न 10 बजे से रामगढ़ताल क्षेत्र में स्थित चंपा देवी पार्क मैदान में होने जा रहा है। समाज कल्याण विभाग की तैयारी डेढ़ हजार से अधिक जोड़ों के सामूहिक विवाह कराने की है। इसके लिए 16 जून तक आवेदन स्वीकार किए जाएंगे। प्रति विवाह सरकार 51 हजार रुपये खर्च करती है। इसमें से 35 हजार रुपये विवाह बंधन में बंधने जा रही कन्या के बैंक खाते में अंतरित कर दिए जाते हैं। 10 हजार रुपये उपहार व शेष राशि अन्य खर्चों के मद में है। सामूहिक विवाह के इस समारोह में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ जिले के जनप्रतिनिधियों की मौजूदगी नवयुगलों के लिए आजीवन यादगार रहेगी। वित्तीय वर्ष 2017-18 से योगी सरकार मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना के तहत सिर्फ गोरखपुर जिले में ही 4490 शादियां सम्पन्न करा चुकी है।
2017-18 में 81, 2018-19 में 236, 2019-20 में 630, 2020-21 में 622, 2021-22 में 1416, 2022-23 में 1505 नव दंपतियों को दिए जाते उपहार
वधू के लिए विवाह हेतु कढ़ाई की एक साड़ी, एक चुनरी, एक डेली यूज की साड़ी, वर हेतु कुर्ता पायजामा, पगड़ी तथा माला। मुस्लिम विवाह के लिए वधू को कढ़ाई वाला सूट, चुनरी, सूट का कपड़ा, वर हेतु कुर्ता पायजामा आदि। आभूषण में 25 ग्राम की चांदी की पायल, छह ग्राम का बिछुआ। गृहस्थी के समान में एक कुकर, एक जग या लोटा, दो थाली, दो गिलास, दो कटोरा व चम्मच, एक बक्सा तथा एक श्रृंगारदानी प्रसाधन सामग्री से भरी हुई।
हेरिटेज फाउंडेशन गोरखपुर की संरक्षिका डॉ.अनिता अग्रवाल कहती हैं कि यकीनन यह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एक ह्दयवान पिता की तरह इस समारोह को सम्पन्न कराते हैं। दूसरे राज्यों की सरकारों के लिए भी यह अनुकरणीय है। इससे दान दहेज की प्रथा को बल नहीं मिलता है बल्कि आर्थिक रूप से कमजोर परिवार बेटिया बोझ नहीं बनती है। उल्लास के साथ राज्य के मुख्यमंत्री समेत अन्य जनप्रतिनिधियों के आशीर्वाद के साथ आर्थिक रूप से कमजोर घरों की बेटियां भी समय अपने घरों को विदा हो जाती है।