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Ancient Astronomical: प्राचीन खगोलीय गणनाओं का आधुनिक विज्ञान में उपयोग

Mangalyaan Mission: भारत ने मात्र 7.4 करोड़ डॉलर में मंगल ग्रह पर उपग्रह भेजा, जो अन्य देशों की तुलना में अत्यधिक सस्ता था। यह प्राचीन भारतीय गणितीय तकनीकों के कुशल उपयोग के कारण संभव हुआ।

भारतApr 01, 2025 / 04:30 pm

Anurag Animesh

Ancient Astronomical:

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इसरो (ISRO) ने अपने चंद्रयान और मंगलयान मिशनों में प्राचीन भारतीय गणितीय गणनाओं का उपयोग किया। चंद्रयान-2 और गगनयान जैसी परियोजनाओं में भी पंचांग की गणनाओं को आधार बनाया गया। मंगलयान मिशन 2013, भारत ने मात्र 7.4 करोड़ डॉलर में मंगल ग्रह पर उपग्रह भेजा, जो अन्य देशों की तुलना में अत्यधिक सस्ता था। यह प्राचीन भारतीय गणितीय तकनीकों के कुशल उपयोग के कारण संभव हुआ।

Ancient Astronomical: आधुनिक वैज्ञानिकों की दृष्टि में भारतीय खगोल विज्ञान


कार्ल सागन, प्रसिद्ध खगोलशास्त्री
कार्ल सागन ने कहा कि भारतीय परंपरा में ब्रह्मांड की उम्र और विशालता को समझने की कोशिश बहुत आगे की थी। अपनी किताब “कॉसमॉस” में वे लिखते हैं कि भारतीयों ने ब्रह्मांड और समय को गणित से जोड़ा, जो आधुनिक विज्ञान से मेल खाता है। उनके अनुसार, यह ज्ञान पश्चिमी विज्ञान से पहले का था और आज भी प्रेरणा देता है।
जॉर्ज गमोव, भौतिक और खगोलशास्त्री
गमोव ने भारतीय खगोल विज्ञान को ब्रह्मांड की उत्पत्ति समझने का एक प्राचीन प्रयास बताया है। उन्होंने कहा कि वेदों में ब्रह्मांड के चक्रीय समय का विचार बिग बैंग सिद्धांत से मिलता-जुलता है।
स्टीफन हॉकिंग, महान वैज्ञानिक
हॉकिंग ने अपनी किताब “अ ब्रीफ हिस्ट्री ऑफ टाइम” में प्राचीन सभ्यताओं के खगोल ज्ञान का जिक्र किया। उन्होंने भारतीय खगोल विज्ञान और ग्रहों की गणना को समय मापन का एक बेहतरीन उदाहरण बताया। वे मानते थे कि भारतीय गणितीय प्रणाली और ज्ञान ब्रह्मांड को समझने के लिए मानव की शुरुआती कोशिशों में से एक था।
सुब्रह्मण्यन चंद्रशेखर, नोबेल विजेता खगोलशास्त्री
चंद्रशेखर ने प्राचीन भारतीय खगोल विज्ञान को अपनी प्रेरणा माना। उन्होंने कहा कि भास्कराचार्य और आर्यभट्ट की गणनाएँ तारों, ग्रहों और नक्षत्रों के आधुनिक अध्ययन की नींव थीं। यह ज्ञान आज भी अंतरिक्ष विज्ञान के लिए उपयोगी है और इसका सम्मान किया जाना चाहिए।
फ्रेड हॉयल, ब्रिटिश खगोलशास्त्री
फ्रेड हॉयल ने कहा कि वेदों में ब्रह्मांड की विशालता का वर्णन आधुनिक कॉसमोलॉजी से मेल खाता है। उन्होंने आर्यभट्ट द्वारा प्रस्तुत सौर मॉडल को अपने समय की एक महत्वपूर्ण खोज बताया।

आधुनिक वैज्ञानिकों के क्या कहा

कार्ल सेगन, प्रसिद्ध खगोलशास्त्री

कार्ल सेगन ने कहा, भारतीय परंपरा में ब्रह्मांड की उम्र और विशालता को समझने की कोशिश बहुत आगे की थी। अपनी किताब कॉसमॉस में वे लिखते हैं कि भारतीयों ने ब्रह्मांड और समय को गणित से जोड़ा, यह आधुनिक विज्ञान से मेल खाता है। उनके मुताबिक, यह ज्ञान पश्चिमी विज्ञान से पहले का था और आज भी प्रेरणा देता है।
जॉर्ज गमोव, भौतिक और खगोलशास्त्री

गमोव ने भारतीय खगोल विज्ञान को ब्रह्मांड की उत्पत्ति समझने का एक प्राचीन प्रयास बताया है। कहा, वेदों में ब्रह्मांड के चक्रीय समय का विचार बिग-बैंग सिद्धांत से मिलता-जुलता है।
स्टीफन हॉकिंग, महान वैज्ञानिक
हॉकिंग ने किताब अ ब्रीफ हिस्ट्री ऑफ टाइम में प्राचीन सभ्यताओं के खगोल ज्ञान का जिक्र किया। भारत और ग्रहों की गणना को समय मापन का बेहतरीन उदाहरण बताया। वे मानते थे कि भारतीय गणितीय प्रणाली और ज्ञान ब्रह्मांड को समझने मानव की शुरुआती कोशिश थी।
सुब्रह्मण्यन चंद्रशेखर, नोबेल विजेता खगोलशास्त्री

चंद्रशेखर ने प्राचीन भारतीय खगोल विज्ञान को अपनी प्रेरणा माना। उन्होंने कहा कि भास्कराचार्य और आर्यभट्ट की गणनाएं तारों, ग्रहों और नक्षत्रों के आधुनिक अध्ययन की शुरुआत थी। यह ज्ञान आज भी अंतरिक्ष विज्ञान के लिए उपयोगी है, इसका सम्मान होना चाहिए।
फ्रेड हॉयल, ब्रिटिश खगोलशास्त्री
फ्रेड ने कहा कि वेदों में ब्रह्मांड की विशालता का वर्णन आधुनिक कॉस्मोलॉजी से मिलता है। उन्होंने आर्यभट्ट के दिए सौर मॉडल को अपने समय की अहम खोज बताया।

Ancient Astronomical: प्राचीन खगोलीय गणना का आधुनिक इस्तेमाल


भारतीय पंचांग और नक्षत्र गणनाः
भारतीय कैलेंडर चंद्र और सौर गणनाओं पर आधारित है, जिससे खगोलीय घटनाओं की सटीक भविष्यवाणी की जाती है।


भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान

इसरो ने अपने चंद्रयान और मंगलयान मिशनों में प्राचीन भारतीय गणितीय गणनाओं को उपयोग किया। चंद्रयान-2 और गगनयान जैसी परियोजनाओं में भी पंचांग की गणनाओं का उपयोग किया गया
अंतरिक्ष में सबसे कम लागत वाले मिशन


मंगलयान मिशन 2013: भारत ने मात्र 7.4 करोड़ डॉलर में मंगल ग्रह पर उपग्रह भेजा, जो अन्य देशों की तुलना में अत्यधिक सस्ता था। यह प्राचीन भारतीय गणितीय तकनीकों के कारण संभव हुआ।

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