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इस घरेलू नुस्खे से गठिए में मिलेगा आराम, कई बीमारियों में भी मिलता है लाभ

सोंठ आयुर्वेद में हरड़ और आंवले जितनी ही महत्वपूर्ण है, इसमें हजारों गुण हैं। यह स्वाद में चरपरी, तासीर में गर्म, गठिया, जुकाम, अपच, कब्ज, सांस, खांसी, हृदय रोग, बवासीर व पेट के रोगों को दूर करने वाली होती है।

Jun 19, 2023 / 02:16 pm

Jyoti Kumar

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सोंठ आयुर्वेद में हरड़ और आंवले जितनी ही महत्वपूर्ण है, इसमें हजारों गुण हैं। यह स्वाद में चरपरी, तासीर में गर्म, गठिया, जुकाम, अपच, कब्ज, सांस, खांसी, हृदय रोग, बवासीर व पेट के रोगों को दूर करने वाली होती है।
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सोंठ को पानी में पीसकर कनपटियों पर लेप करने से आधासीसी या माइग्रेन में लाभ होता है। इसके अलावा सोंठ को पीसकर बकरी के दूध में मिला लें, इसकी कुछ बूंदें नाक में टपकाने से सिरदर्द में आराम मिलता है।
15 ग्राम सोंठ चूर्ण रोजाना राई की कांजी या गिलोय के काढ़े के साथ पीने से गठिया में लाभ होता है। बेल व सोंठ का चूर्ण गुड़ में मिलाकर छाछ के साथ लेने से दस्त ठीक होते हैं।
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वैद्य हरिमोहन शर्मा के अनुसार, सोंठ, आंवला, छोटी पीपल का चूर्ण शहद के साथ चाटने या बकरी के गर्म दूध के साथ लेने से हिचकियों में आराम मिलता है। सोंठ और धनिए का काढ़ा पीने से पेटदर्द व कब्ज दूर होती है। खाने से पहले 5 ग्राम अदरक के टुकड़ों पर सेंधा नमक और नींबू का रस लगाकर खाने से भूख बढ़ती है।

कारण
हमारी हड्डियों के जोड़ों में पाए जाने वाले ऊतकों में से एक है कार्टीलेज। यह हड्डियों के जोड़ों की फंक्शनिंग में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। जब आप चलते हैं तो जोड़ों पर काफ़ी दबाव पड़ता है। कार्टीलेज ऊतक ऐसी स्थिति में उस दबाव और प्रेशर को अवशोषित कर लेता है और हड्डियों को डैमेज होने से बचाता है। लेकिन जब शरीर में कार्टीलेज उत्तकों की मात्रा में गिरावट होने लगती है तो ऐसे में शरीर गठिया का शिकार होने लगता है। इसलिए अर्थराइटिस का एक कारण शरीर में कार्टीलेज की कमी भी है। इसके अलावा चोट लगने से भी हड्डियों पर काफ़ी प्रभाव पड़ता है। इससे ऑस्टियो आर्थराइटिस की समस्या उत्पन्न हो सकती है। जब जोड़ों में किसी प्रकार का कोई संक्रमण या चोट होती है तो ऐसे में भी कार्टीलेज ऊतकों की संख्या कम होने लगती है।

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इन सबके अलावा अर्थराइटिस की बीमारी वंशानुगत तौर पर भी देखने को मिलती है। यदि परिवार में कभी किसी को अर्थराइटिस की बीमारी रही है तो ऐसे में आने वाली पीढ़ियों में इस बीमारी की प्राकृतिक रूप से होने की संभावना अधिक होती है।

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लक्षण

बार बार बुखार आना
मांसपेशियों में दर्द रहना
हमेशा थकान और सुस्ती महसूस होना
ऊर्जा के स्तर में गिरावट आना
भूख की कमी हो जाना
वज़न का घटने लगना
जोड़ों में दर्द की समस्या
सामान्य मूवमेंट पर भी शरीर में असहनीय दर्द होना
शरीर का टेम्परेचर बढ़ जाना अर्थात शरीर का गर्म हो जाना
शरीर पर लाल चकत्ते पड़ जाना
जोड़ों के आस पास की त्वचा पर गांठें बन जाना

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ये सभी लक्षण अर्थराइटिस के हो सकते हैं। अर्थराइटिस की समस्या से जूझ रहे मरीज को कभी कभी असहनीय दर्द का सामना करना पड़ता है। व्यक्ति इतना कमजोर होने लगता है कि वह दो कदम चलने पर भी थक जाता है। इसके साथ ही उसे चलने फिरने तथा बैठने में काफ़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। उसे जोड़ों में दर्द की समस्या भी हो सकती है।

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