scriptMahashivratri 2025 : 750 वर्षों से भक्तों की आस्था का केन्द्र सैंपऊ स्थित महादेव मंदिर, भगवान राम ने की थी शिवलिंग की स्थापना | Mahashivratri 2025 devotees gathered in saipau mahadev temple Lord Ram established Shivling | Patrika News
धौलपुर

Mahashivratri 2025 : 750 वर्षों से भक्तों की आस्था का केन्द्र सैंपऊ स्थित महादेव मंदिर, भगवान राम ने की थी शिवलिंग की स्थापना

Saipau Mahadev Temple: मंदिर में एक ऐसा वृक्ष भी है जिसकी एक डाली पर फूल लगते हैं और एक डाली पर कांटे।

धौलपुरFeb 26, 2025 / 03:20 pm

Alfiya Khan

_Saipau Mahadev Temple
नरेश लवानिया
धौलपुर। राजस्थान में कई ऐसे प्राचीन मंदिर हैं जो सालों पुराने अपने गौरवशाली इतिहास के साथ लोगों की अपूर्ण आस्था का केन्द्र हैं। लेकिन धौलपुर जिला के सैंपऊ खण्ड स्थित महादेव मंदिर का सबसे लंबा शिविलिंग है बल्कि भगवान राम के हाथों शिवलिंग की स्थापना के कारण इसे राम रामेश्वर भी कहा जाता है।
पुरातत्व विभाग में पंजीकृत इस मंदिर की कहानी बड़ी विचित्र है। मंदिर जितना ऊपर बना हुआ है उतना ही नीचे धंसा हुआ है। मंदिर में स्थापित शिवलिंग करीब 750 वर्ष पुराना है। करीब 350 वर्ष पहले इस मंदिर का निर्माण कराया गया तब से यह महादेव मंदिर इसी अवस्था में है।
यह शिवलिंग संवत 1305 में तीर्थाटन करते हुए यहां आए श्यामरतन पुरी ने एक पेड़ के नीचे अपना धुना लगा लिया और कुछ दिन बाद उन्हें आभास होने लगा कि यहां भूमि में शिवलिंग दबा हुआ है। जिसके बाद झाड़ियों को हटाकर इस जगह की खुदाई की तो शिवलिंग दिखाई दिया।
खुदाई के दौरान शिवलिंग खंडित हो गया और खंडित मूर्ति को निषेध मानकर श्यामरतन पुरी ने मिट्टी से दबाना शुरू किया तो मूर्ति मिट्टी में नहीं दबी जितना दबाते गए वो उतनी ही बाहर निकलती गई और आठ फीट तक मिट्टी का ढेर लगाने के बाद भी शिवलिंग दिखता ही रहा। इसके बाद उन्होंने गोलाकार चबूतरा नुमा बनाकर शिवलिंग की पूजा अर्चना शुरू कर दी।
यह भी पढ़ें

यहां है दुनिया का एकमात्र मंदिर, जहां लेटे हुए हनुमान की होती है पूजा, पांडवों से जुड़ा है इसका इतिहास

मंदिर नक्काशी, भव्यता का अद्भुत नमूना

मंदिर की अद्भुत नक्काशी और भव्यता का निर्माण भूतल से करीब आठ फीट उंचाई पर शुरू किया गया है। मंदिर के भव्य और किलेनुमा तीन प्रवेश द्वार हैं ओर बीस सीढियां चढ़ कर मंदिर में प्रवेश होता है। पचास गुणा साठ फीट लबे-चोड़े चौक में तीन विशाल बारहद्वारी बनी है। इन तिबारों में धौलपुर के लाल पत्थर का उपयोग किया गया है।
चौक के बीच मे अष्टकोण की आकृति में बने शिवालय में पौराणिक शिवलिंग स्थापित है और शिवालय के आठ द्वार हैं। शिखरबंध मंदिर चौक से 42 फीट और भूतल से 50 फीट ऊंचा है। शिवलिंग भी चौक से आठ फीट नीचे भूतल तक है। गुफानुमा द्वार से भूतल तक शिवलिंग के निकट जाने का रास्ता भी है और भूतल से मंदिर चार मंजिला है जो दूर से ही अपनी भव्यता का आभास कराता है।

अनोखा वृक्ष, एक डाली पर फूल तो दूसरी पर कांटे

शिव मंदिर अपनी अलौकिक गाथा के साथ अपनी स्वर्णिम छंटा तो बिखेर ही रहा है। बल्कि यहां पर एक ऐसा वृक्ष भी है जिसकी एक डाली पर फूल लगते हैं और एक डाली पर कांटे। इसलिए इन दोनों डालियों को नर और मादा के रूप में जाना जाता है। महाशिवरात्रि श्रवण मास एवं साप्ताहिक सोमवार को बड़ी संख्या में महादेव के भक्त पूजा अर्चना करने के लिए आते हैं।

भगवान राम ने की थी शिवलिंग की स्थापना

सैंपऊ महादेव मंदिर को राम रामेश्वर भी कहा जाता है। बताते हैं कि बार भगवान राम मुनि विश्वामित्र के साथ भ्रमण पर आए थे। इसी दौरान उन्होंने शिवलिंग की स्थापना की थी। कालांतर में यह नीचे दब गया और ऊपर झाड़ व वनस्पतियां उग गई। इतिहासकार बताते हैं कि सैंपऊ महादेव मंदिर का शिवलिंग भारतवर्ष ही नहीं अपितु एशिया महाद्वीप में पहला स्थान रखता है। वहीं मंदिर की भव्यता और विशालता तमिलनाडु रामेश्वरम के बाद दूसरे स्थान पर है।

Hindi News / Dholpur / Mahashivratri 2025 : 750 वर्षों से भक्तों की आस्था का केन्द्र सैंपऊ स्थित महादेव मंदिर, भगवान राम ने की थी शिवलिंग की स्थापना

ट्रेंडिंग वीडियो