पुस्तकालय में द्वितीय मंजिल पर पुराना ऐतिहासिक कक्ष है। इसका फर्श लडक़ी का है। अंग्रेजी शासन में यहां संगीत कार्यक्रम हुआ करते थे। कक्ष की खासियत है कि कलाकार के प्रस्तुति देते समय फर्श से ध्वनि निकलती थी जो साण्उड का काम करती थी। उधर, पीजी कॉलेज में ई-लैब का भी निर्माण हो रहा है। भविष्य में धौलपुर पीजी कॉलेज में ऑनलाइन परीक्षाओं के लिए केन्द्र बन सकेगा। जिससे स्थानीय छात्र-छात्राओं को बड़े शहरों की दौड़ नहीं करनी पड़ेगी। गौतलब रहे कि धौलपुर शहर में स्थित पीजी कॉलेज की शुरुआत सन् 1961 में स्नातक कॉलेज के रूप में हुई थी और सन् 1985 में यह पीजी कॉलेज बना था।
कक्ष में कराया रंग-रोगन, लगेंगी टेबल-कुर्सी पुस्तकालय भवन मुख्य इमारत में प्रशासनिक कक्ष के बगल में स्थित है। इसमें प्रवेश करते ही नीचे तरफ एक कक्ष है जिसमें पहले कबाड़ इत्यादि पड़ा हुआ था। प्राचार्य डॉ.एसके जैन ने भवन में रखे कबाड़ को निकलवा कर उसमें रंग-रोगन करवाया कर नया लुक दिलवाया। इसको जल्द स्वागत कक्ष में तब्दील कर दिया जाएगा। साथ ही पुराने फर्नीचर को सुधारा है। पीजी कॉलेज के नियमित विद्यार्थी इस कक्ष में बैठ कर पुस्तक, समाचार पत्र व मैगजीन इत्यादि का अध्ययन कर सकेंगे। उन्हें अब मुख्य भवन तक जाने की जरुरत नहीं होगी। केवल पुस्तक इश्यू कराकर वह नीचे अध्ययन कर सकेंगे।
सैकड़ों पुस्तकों से समृद्ध है पुस्तकालय पीजी कॉलेज का उक्त पुस्तकालय प्रदेश की पुरानी समृद्ध लाइब्रेरी में जानी जाती है। पुस्तकालय में करीब 80 हजार किताबें हैं जिसमें कॉलेज संचालित विषयों की सैकड़ों पुस्तकों के अलावा, मैगजीन, नामी लेखकों की पुस्तक समेत अन्य अध्ययन सामग्री मौजूद है। गत दिनों ज्ञान के भण्डार को व्यवस्थित किया गया। इधर-उधर धूल फांक रही कई किताबों की सार-संभाल कर उन्हें रैक में सजाया है, जिससे विद्यार्थी उनका अध्ययन कर सकें।
कलाकार के कदमों के साथ गूंजता था संगीत कॉलेज के पुस्तकालय भवन की इमारत देखने लायक है। उक्त किसी समय में अंग्रेज अधिकारी का निवास हुआ करता था। भवन बेहद कलात्मक व हवादार है। इसमें एक पुराना हॉल है जिसमें पहले पुस्तकें रखी हुई थी। यह कक्ष देखने लायक है। द्वितीय मंजिल पर स्थित उक्त कमरे का फर्श सीमेंटेड नहीं बल्कि लकड़ी का बना हुआ है। अंग्रेजों के समय उक्त कक्ष में नृत्य गान व संगीत कार्यक्रम हुआ करते थे। इस कक्ष की खासियत ये है कि इसमें नृत्य करते समय फर्श से ध्वनि उत्पन्न होती थी जो वाद्ययंत्रों का कार्य करती थी। कलाकार कक्ष में प्रस्तुति देता था जो उसके कदम ताल के साथ फर्श से ध्वनि निकलती थी, जो बाहर तक सुनाई देती थी। दिनोंदिन फर्श कमजोर होने और हादसे की आशंका को देखते हुए इसको खाली कर दिया।
– कॉलेज पुस्तकालय भवन में सुधार किया गया है। नीचे पड़े खाली कक्ष को नया लुक दिया है। इसमें अब विद्यार्थी अध्ययन कर सकेंगे। साथ ही पुरानी किताबों को व्यवस्थित तरीके से रखवाया गया है। जिससे विद्यार्थी को संबंधित पुस्तक आसानी से मिल सकें।- डॉ.एसके जैन, प्राचार्य, पीजी कॉलेज धौलपुर