हर मंगलवार को होता है पूजा का आयोजन
भोजशाला में हिंदू समाज को हर मंगलवार सूर्योदय से सूर्यास्त तक पूजा की अनुमति है। इसी परंपरा को निभाते हुए इस वर्षगांठ पर भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु भोजशाला पहुंचे। वहां मां वाग्देवी और भगवान हनुमान के चित्रों की स्थापना कर पूजा की गई। सरस्वती वंदना और हनुमान चालीसा का पाठ करते हुए आरती की गई और प्रसादी वितरण कर माहौल को भक्तिमय बना दिया गया। यह भी पढ़े –
बड़ी चेतावनी! दुनियाभर की अर्थव्यवस्था पर असर, पेट्रोल-डीजल से लेकर नौकरी, व्यापार तक को खतरा संघर्ष की यादों के साथ किया गया नमन
इस मौके पर समिति के संरक्षक हेमंत दौराया ने उद्बोधन देते हुए भोज उत्सव समिति की ऐतिहासिक भूमिका और योगदान पर प्रकाश डाला। केसरीमल सेनापति, वसंत राव प्रधान, प्रेम प्रकाश खत्री, ताराचंद अग्रवाल और काले साब जैसे पुराने सेनानियों के संघर्ष को याद किया गया, जिनके मार्गदर्शन में आंदोलन को दिशा मिली।
1997 से शुरू हुआ संघर्ष, 2003 में खुले ताले
वर्ष 1997 में भोजशाला में हिंदुओं के प्रवेश पर प्रतिबंध लगने के बाद साध्वी ऋतंभरा के आह्वान पर हिंदू समाज ने हर मंगलवार सड़क पर सत्याग्रह शुरू किया था। यह संघर्ष लगातार चलता रहा, जिसके परिणामस्वरूप 3 अप्रैल 2003 को भोजशाला के ताले हिंदुओं के लिए खोले गए। इस ऐतिहासिक क्षण को अब हर वर्ष 8 अप्रैल को वर्षगांठ के रूप में मनाया जाता है।
आंदोलन के नायकों की संघर्ष गाथा
कार्यक्रम में आंदोलन से जुड़े गोपाल शर्मा, अशोक जैन, सुरेश पिपलोदिया, विमल गोधा आदि के संघर्ष व जेल यात्राओं की स्मृतियां साझा की गईं। वक्ताओं ने कहा कि हिंदू समाज अब भी भोजशाला की पूर्ण मुक्ति के लिए संकल्पबद्ध है और यह लड़ाई जारी रहेगी। यह भी पढ़े –
हरदा पटाखा फैक्ट्री ब्लास्ट पीड़ितों को पुलिस ने रास्ते में रोका, सीएम से मिलने की कर रहे थे मांग एएसआई सर्वे और कानूनी प्रक्रिया
22 मार्च 2024 से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा भोजशाला परिसर में करीब 100 दिनों तक व्यापक सर्वेक्षण किया गया। इस सर्वे में भगवान गणेश, शिव सहित कुल 94 मूर्तियां और लगभग 1,700 अवशेष प्राप्त हुए, जिनमें 106 स्तंभ और 82 भित्ति चित्र के अवशेष शामिल हैं। एएसआई ने अपनी रिपोर्ट मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में प्रस्तुत की, लेकिन वर्तमान में इस पर अमल रोक दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट में इस रोक को हटाने के लिए सुनवाई प्रस्तावित है।
संकल्प के साथ मनाया गया उत्सव
इस अवसर पर भोजशाला की पूर्ण मुक्ति का संकल्प भी दोहराया गया। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में श्रद्धालु व कार्यकर्ता उपस्थित रहे, जिनमें राजेश शुक्ला, जगदीश राठौर, द्वारकाधीश राठौड़, श्याम मालवा, सुमित चौधरी सहित मातृशक्ति की लीलावती ठाकुर, चंदा बेन, सुनीता दीदी, डॉली जाधव, रमिला दीदी, ज्योति अटारे, सुमन जाट, सरला पांडर, कलावती रघुवंशी आदि प्रमुख थीं।
सुरक्षा व्यवस्था रही चाक-चौबंद
कार्यक्रम की संवेदनशीलता को देखते हुए प्रशासन ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए थे। सीएसपी रविंद्र वास्केल, टीआई समीर पाटीदार और नौगांव टीआई सुनील शर्मा अपने दल-बल के साथ पूरे आयोजन के दौरान उपस्थित रहे। यह वर्षगांठ भोजशाला संघर्ष के इतिहास को पुनः जीवंत करने के साथ-साथ आने वाले दिनों में न्याय की उम्मीद और मंदिर की पूर्ण मुक्ति की आशा का प्रतीक बन गई है।