क्या है गेज़ टेस्ट –
दरअसल, हाल के मैचों में मैदानी अंपायरों को कई बार बल्लेबाजों के बल्ले की जांच करते हुए देखा गया है। अब अंपायर मैदान पर ही एक विशेष यंत्र की मदद से बल्ले के आकार की माप कर रहे हैं, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि
कोई भी बल्लेबाज नियमों से बड़ा या भारी बल्ला लेकर अनुचित लाभ न उठाए। इस मैच में केकेआर की बल्लेबाज़ी के दौरान आंद्रे रसेल, सुनील नरेन और एनरिक नॉर्खिया के बल्ले गेज़ टेस्ट में फेल हो गए। इसके बाद तीनों खिलाड़ियों को अपने बल्ले बदलने पड़े।
कैसे हुआ बल्लों का परीक्षण?
जब लक्ष्य का पीछा करने उतरी कोलकाता नाइट राइडर्स की टीम के लिए सुनील नरेन मैदान में आ रहे थे, तब अंपायर ने उनका और अंगकृष रघुवंशी का बल्ला चेक किया। रघुवंशी का बल्ला नियमों के भीतर पाया गया, लेकिन नरेन का बल्ला तय मानकों पर खरा नहीं उतरा और उन्हें तुरंत बल्ला बदलना पड़ा। इसके बाद जब आंद्रे रसेल 11वें ओवर में बल्लेबाजी करने आए, तो अंपायर साईदर्शन कुमार ने उनके बल्ले का भी परीक्षण किया, जिसमें वह फेल हो गए। मैच के अंतिम ओवरों में एनरिक नॉर्खिया का बल्ला भी नियमों के अनुरूप नहीं पाया गया। इसके बाद सब्स्टीट्यूट खिलाड़ी रहमानुल्लाह गुरबाज़ को डगआउट से उनके लिए नया बल्ला लाना पड़ा।
क्या कहता है नियम –
नियमों के अनुसार, बल्ले के चेहरे (मुख) की चौड़ाई 4.25 इंच (10.79 सेमी) से अधिक नहीं होनी चाहिए। बल्ले के मध्य हिस्से, यानी उभरे हुए भाग की अधिकतम मोटाई 2.64 इंच (6.7 सेमी) निर्धारित की गई है। इसके अलावा, बल्ले के किनारों की चौड़ाई 1.56 इंच (4 सेमी) से अधिक नहीं हो सकती। संपूर्ण बल्ले की लंबाई, हैंडल के शीर्ष से लेकर निचले सिरे तक, अधिकतम 38 इंच (96.4 सेमी) हो सकती है।