जटाशंकर व मतंगेश्वर में जलाभिषेक के लिए आए श्रद्धालुओं में युवा और महिलाओं की संख्या सबसे ज्यादा रही। श्रद्धालुओं में 80 फीसदी युवा व महिला थे। वहीं, 20 फीसदी बुजुर्ग भी शिवपूजन के लिए भारी भीड़ के वाबजूद धाम पर पहुंचे। जटाशंकर में सीढियों के नीचे से लेकर पहाड़ पर ऊपर तक सभी जगह श्रद्धालु नजर आ रहे थे। वहीं, चांदा कार्यक्रम स्थल पर भी श्रद्धालुओं की भीड़ नजर आई। मतंगेश्वर में मंदिर परिसर में हर बार की तरह इस बार भी नीचे से ऊपर तक श्रद्धालुओं की लाइन लगी रही।
जटाशंकर, मतंगेश्वर में सुबह से जलाभिषेक का सिलसिला शुरु हो गया जो दोपहर बाद तक चलता रहा। जटाशंकर के कुंड से इतना जल निकालने की गति इतनी तेज रही कि हमेशा ओवर फ्लो होने वाले तीनों कुंड में पानी पूरी तरह भर नहीं पा रहा था। इसी तरह खजुराहो में शिवसागर तालाब से जल लेकर शिव को अर्पित करने का सिलसिला पूरे दिन चला। एक अनुमान के मुताबिक जटाशंकर में एक लाख लीटर व खजुराहो में 40 हजार लीटर जल शिव को अर्पित किया गया। इसके साथ ही जटाशंकर में 40 किलोग्राम फूल-फल भी श्रद्धालुओं ने अर्पित किया। ट्रस्ट की छह सदस्यीय एक टीम पूरे दिन चढ़ाए गए फल-फूल को समेटने व साफ-सफाई में लगी रही। खजुराहो में भी 20 किलोग्राम तक बेलपत्री व फूल श्रद्धालुओं ने अर्पित किए।
चांदा गांव के जटाशंकर पहुंची बारात
शिवधाम जटाशंकर में महाशिवरात्रि पर विशेष धार्मिक आयोजन हुए। श्रद्धालुओं ने पवित्र कुंड़ों में श्रद्धालुओं ने स्नान करके भगवान शिव का जलाभिषेक किया। शाम करीब 5 बजे जटाशंकर के करीब स्थित चांदा गांव के भगवान शिव की बरात निकाली गई, जो बुंदेली अंदाज में जटाशंकर के लिए रवाना हुई। जटाशंकर में पूरी रात भगवान शिव और मां पार्वती के विवाह की रस्में हुई। यहां परंपरानुसार प्रशासन द्वारा वधु पक्ष के परिजनों की भूमिका का निर्वाह करते हुए बरात का बुंदेली अंदाज में स्वागत किया। बरात का स्वागत बुंदेली मिर्चवानी शर्बत से किया गया। इसके बाद टीका, भांवरें, पांव पूजन से लेकर विवाह की प्रत्येक रस्में हुईं। यहां बुंदेली लोक कलाकारों द्वारा बुंदेली लोकगीत, कीर्तन, भजन और विवाह गीत गाए।
हर-हर महादेव से गूंजा शिल्पतीर्थ
विश्व भर में शिल्पतीर्थ के नाम से विख्यात खजुराहो में महाशिवरात्रि पर हर-हर महादेव और जय मतंगेश्वर के स्वर गूंजते रहे। यहां पश्चिमी मंदिर समूह में स्थित करीब एक हजार साल पुराने मतंगेंश्वर मंदिर में बड़ी संख्या में देर रात श्रद्धालु पहुंचे। रात 12 बजे से ही शिवसागर में स्नान कर जलाभिषेक का सिलसिला शुरु हो गया जो शिवरात्रि के दिन दोपहर बाद तक चलता रहा। पूरे दिन यहां पर श्रद्धालुओं की भीड़ रही। श्रद्धालुओं द्वारा शिर्वाचन किया गया। वहीं लोगों ने अपने घरों व दुकानों में रौशनी करने के साथ दिए जलाकर महाशिवरात्रि पर्व को दिवाली जैसा जगमग कर दिया। इधर, हरपालपुर के निकट सरसेड़ में गुफा में गुप्तकाल से स्थापित शिवलिंग के दर्शन करने के लिए हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचे। यहां भगवान शिव का श्रृंगार बुंदेली अंदाज में किया गया। इसके साथ ही भीमकुंड, अचट्ट के हजारिया महादेव मंदिर सहित जिले भर में स्थापित शिवालयों में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा।
संकट मोचन मंदिर में हुए मांगलिक कार्यक्रम
महाशिवरात्रि पर्व पर शहर के शिवालयों में सुबह से ही श्रद्धालुओं की भीड़ रही। भगवान शिव का अनूठा श्रृंगार किया गया। छतरपुर में मुख्य आयोजन संकट मोचन मंदिर मे हुआ। यहां महाशिवरात्रि का मेला लगा। हटवारा मोहल्ला गांव की देवी मंदिर से भगवान शिव की बरात संकटमोचन मंदिर के लिए रवाना हुई। शहर के मुख्य मार्गों से निकली बरात की अगवानी विघ्नहर्ता भगवान गणेश कर रहे थे। इस बरात में भगवान शिव, ब्रह्मा, विष्णु, राम, हनुमान, नारद आदि की सजीव झांकियां सजाईं गईं। साथ ही डीजे, बैंड-बाजा और घोड़े भी बारात में शामिल रहे। देर शाम बरात संकट मोचन मंदिर पहुंची। यहां बरात की अगवानी जनप्रतिनिधियों और श्रद्धालुओं द्वारा की गई। संकटमोचन स्थित मां पार्वती के मंदिर में पूरी रात वैवाहिक रस्में हुईं।